Sunday, February 3, 2013

First Ashok Chakra (class 1) for Civilians

अशोक चक्र प्रथम श्रेणी (मरणोपरांत) 
श्री तेज सिंह गुर्जर (कोली), श्री पुरुषोत्तम सिंह गुर्जर एवं श्री लज्जा राम गुर्जर (कांवर)

12 सितम्बर 1964 की रात। ग्वालियर से 21 मील दूर चुरहेला गाँव को डकैतों के सशस्त्र गिरोह ने घेर लिया। यह 35-40 घरों वाला गुर्जरों का गाँव है। डाकू दल मार्क थ्री रायफलों तथा तलवारों से लैस थे। इन्होने आधी रात के सन्नाटे में श्री नोहन्त राम सिंह गुर्जर के घर में दिवार लांघ कर प्रवेश किया तथा महिलाओं के जेवर लूटना शुरू कर दिया। घर के बाहर चौपाल में श्री नोहन्त राम सिंह तथा उनके दो पुत्र श्री पुरुषोत्तम सिंह और श्री लज्जाराम सिंह और उनके दामाद श्री तेजसिंह (बमरौली निवासी) गहरी नींद में सोये हुए थे।
महिलाओं के चीत्कार को सुनकर उनकी नींद उड़ गयी। तेजसिंह ने लाठी उठायी और डाकुओं पर बाज़ की तरह झपट पड़े। तीनों ने सीने पर गोलियाँ झेलकर डकैतों को खदेड़ दिया। बूढ़े बीमार श्री नोहन्त राम सिंह गुर्जर के दोनों जवान पुत्रों तथा जवान दामाद ने जिस अदम्य साहस तथा वीरता का परिचय दिया वह अनुपम एवं अकथनीय है। आज भी इस इलाके में मिसाल दी जाती है कि:
मौत     मरै     तो     ऐसी 
नोहन्तराम के पूतों जैसी।
26 जनवरी 1965 को तीनों वीर गुर्जरों को मरणोपरांत अशोक चक्र प्रथम श्रेणी से विभूषित किया गया। उनकी विधवाओं ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड समारोह में पदक प्राप्त किये। उनके नाम हैं:
1. श्रीमती लालीबाई पत्नी स्व. तेजसिंह कोली ग्राम बमरौली, जिला मुरैना (म.प्र.)
2. श्रीमती सोनाबाई पत्नी स्व. लज्जाराम सिंह ग्राम चुरहेला, जिला मुरैना (म.प्र.)
3. श्रीमती बसंतीबाई पत्नी स्व. पुरुषोत्तम सिंह ग्राम चुरहेला, जिला मुरैना (म.प्र.)

22 जनवरी 1965 के अपने अंक में दैनिक 'हिंदुस्तान टाईम्स' ने लिखा था-
 First Ashok Chakra For The Civilians
Three women of Chambal, Churhela Village in Madhya Pradesh will receive on Republic Day the Ashok Chakra Class 1, awarded to their husbands. The villagers are Purushottam Singh, Lajjaram Singh and Tej Singh. "Our men faced the dacoits with unsurpassed bravery with lathies, they fought the armed dacoits for more than half an hour," Sona, one of the widow said proudly. 

Courtesy: Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas By Ch. Khurshid Bhati Ji (page415)

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