श्री राम अख्त्यार सिंह मावी
राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार मरणोपरांत
श्री राम अख्त्यार सिंह जैसे ही अठारह बरस के हुए, ग्वालियर आर्मी में भर्ती हो गए। द्वितीय विश्व युद्ध में ग्वालियर की फ़ोर्स इन्फेंटरी में इन्होंने बहुत नाम कमाया तथा हवलदार बना दिए गए। मध्य भारत की स्थापना के बाद ग्वालियर राज्य की फौज के जवान तथा अफ्सरान सशस्त्र पुलिस में सम्मिलित कर लिए गए। इस बल का नाम S.A.F. (Special Armed Force) रखा गया। श्री राम अख्त्यार सिंह इस प्रकार आर्मी से S.A.F. में आ गए थे।
सन 1958 में श्री राम अख्त्यार सिंह को पदोन्नत कर प्लाटून कमान्डर बनाया गया। उन दिनों डाकुओं के सफाए के लिए चुने हुए जवानों और अफसरों का एक दल बनाया गया जिसे 'क्रेक कंपनी' नाम दिया गया। डाकू सरगना मान सिंह के सफाए में यह सशस्त्र बल गठित किया गया था। डाकू लाखन सिंह के गिरोह का अन्त करने का काम इसी कंपनी को सौंपा गया था। कर्नल शितोले इस बल के कमान्डेंट थे।
30 दिसंबर 1960 को डाकू लाखन सिंह का गिरोह ग्राम देवरा के बीहड़ में ठहरा हुआ था। क्रेक कंपनी ने डाकू लाखन सिंह के गिरोह को घेरना शुरू किया ही था कि मुठभेड़ शुरू हो गयी।
श्री राम अख्त्यार सिंह अग्रिम पंक्ति में अपनी पलाटून का नेतृत्व कर रहे थे। भीषण गोलीबारी की परवाह ना करते हुए श्री राम अख्त्यार सिंह ने डाकू लाखन सिंह का पीछा करना जारी रखा। आखिर उन्होंने दस्यु सरदार लाखन सिंह को धर दबोचा। लाखन सिंह ने रायफल की गोली दागी जो श्री राम अख्त्यार सिंह के सीने में लगी।श्री राम अख्त्यार सिंह ने घायल होने के बावजूद अपनी रायफल से अचूक निशाना लगा कर लाखन सिंह को ढेर कर दिया। श्री राम अख्त्यार सिंह भी वीरगति को प्राप्त हुए। अदम्य और उत्कृष्ट वीरता के लिए श्री राम अख्त्यार सिंह को मरणोपरांत राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित किया गया।
It is mentioned in 'The History of the M.P. Police', page 371:
"Platoon Commander Ramakhtyar Singh was posthumously awarded the President's Police & Fire Service Medal for gallantry. His name will ever be remembered as that of a man who gave his life for the sake of destroying the most dangerous criminal of Madhya Pradesh, Lakhan Singh. In years to come, men will find inspiration in the exploits of the police officer, who with supreme courage led his men for war and in doing so took the reputation and prestige of the police forward for ever."
Courtesy: 'Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas' By Ch. Khurshid Bhati Ji (page419)
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