राष्ट्रपति पुरस्कार - श्री यशवंत सिंह घुरैया (I.P.S. Retired)
श्री यशवंत सिंह घुरैया ने 4 बार राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर देश और समाज में अपने व्यक्तित्व का कीर्तिमान स्थापित किया है। आप बहुत बड़े समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ और उत्कर्ष्ठ साहित्यकार भी थे।
श्री यशवंत सिंह घुरैया के जीवन वृत को प्रारम्भ करने से पहले यह बात दुहरानी आवश्यक है कि महान पुरुषों का उद्भव कंटकाकीर्ण और दुर्गम विभीषिकाओं में होता है। यह एक यथार्थ सत्य है। इतिहास में ऐसे उदाहरण ढूँढने से ही मिलेंगे, जिन्हें महानता पैत्रिक रूप से मिली हो। किसी ने सोचा भी ना होगा कि क़स्बा पारसेन, ग्वालियर में जन्म लेकर मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे भारत के पुलिस अधिकारियों में वह उच्च कोटि की प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा। न्रवंश विज्ञान के विशारदों का मत है कि रक्त बोलता है, उसकी ध्वनि कालान्तर में सब सुन समझ सकते हैं। श्री यशवंत सिंह घुरैया की धमनियों में पराकर्मी राजा रामपाल सिंह का रक्त प्रवाहित है, जिसकी धाक से मुगलिया सल्तनत के सपने खटाई में पड़ गए थे। मराठा हुकूमत के लिए भी करील के कांटे की तरह दर्द बना रहा। करौली तथा जयपुर के राजाओं को उनसे सुलह करनी पड़ी।
श्री यशवंत सिंह घुरैया सन 1953 में सब इंस्पैक्टर पुलिस निर्वाचित हुए। पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज इंदौर से सफलता पूर्वक प्रशिक्षण पूरा करके जिला राजगढ़, मध्य प्रदेश में नियुक्त किये गए। तत्कालीन डी.आई.जी. श्री पुत्तू सिंह चौहान इनकी कार्य कुशलता से बहुत प्रभावित हुए। सन 1955 में इनकी नियुक्ति जिला भिंड के थाना गोरमी में की गयी। उस समय थाना गोरमी सर्कल में कई डकैत गिरोह प्रभावशाली थे। कल्ला उर्फ़ कल्याण सिंह, पहाड़ सिंह, महाराज सिंह तथा गब्बर सिंह के नाम विशेष कुख्यात थे। थाना गोरमी के 9 माह के कार्यकाल में 12 बार डकैतों से मुठभेड़ें हुईं जो इस थाने के इतिहास में सबसे अधिक मुठभेड़ें थीं।
सन 1955 से 1962 तक जिला भिंड के महत्वपूर्ण थानों के थाना प्रभारी रह कर अत्यंत ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा की मिसाल पुलिस में प्रस्थापित की। कम समय में जनता एवं अधिकारियों के लोकप्रिय बनकर जनता जनार्दन की निस्वार्थ सेवा की। सन 1962 में पदोन्नत होकर सूबेदार नियुक्त हुए तथा सूबेदार कोर्स जबलपुर में आलराउण्ड बैस्ट घोषित किये गए। प्रशिक्षण उपरान्त जिला मुरैना के दस्यु अभियान में उपयुक्त समझ कर नियुक्त किये गए। जिला मुरैना में डाकू समस्या हल करने में श्री यशवंत सिंह घुरैया जी ने सराहनीय योगदान दिया है।
श्री यशवंत सिंह घुरैया 26 जनवरी 1967 में राष्ट्रपति द्वारा वीरता के पुलिस पदक से अलंकृत, 26 जनवरी 1971 में गुणोंत्क्रष्ट सेवा पदक से विभूषित, 1978-79 में सर्वोच्च अलंक्रण विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत और 1981 में चौथी बार अपनी अद्भुत बहादुरी के कारनामों के लिए शौर्य पदक से विभूषित हुए। इस तरह एक उच्च कोटि के समाज रतन ने बहादुरी में ऐसी मिसाल कायम की जो आजतक के इतिहास में अद्भुत है।
श्री यशवंत सिंह घुरैया पुलिस अधीक्षक के पद से 31 मार्च 1991 में रिटायर हुए। आप एक उच्च कोटि के समाज सुधारक, साहित्यकार और इतिहासकार थे। पुलिस विभाग की सेवा का भिंड जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में उनका कार्यकाल आज भी स्मरण किया जाता है।
Courtesy: Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas By Ch. Khurshid Bhati Ji (page 416)
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