Saturday, February 16, 2013

President's Gallantry Award & Fire Brigade Medal - Sh. B.S.Tongar

अग्नि शमन पुरस्कार 
श्री बी. एस. टोंगर 

श्री बी.एस. टोंगर प्रमुख अधीक्षक पुलिस फायर ब्रिगेड तथा प्रमुख फायर विशेषज्ञ (म. प्र.) के पद पर कार्यरत हैं। श्री टोंगर, फायर इंजीनियरिंग में स्नातक होकर फायर साइंस में विशेष योग्यता रखते हैं। श्री टोंगर, ऑल इंडिया फायर एडवाइजर काउन्सिल, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के स्थायी सदस्य हैं। इसके अलावा चीफ हैड ऑफ़ फायर सर्विस असोसिएशन, ऑल इण्डिया फायर के महासचिव भी हैं।
श्री टोंगर को महामहिम राष्ट्रपति ने वर्ष 1993 में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक से विभूषित किया है। 15 अगस्त 1994 को श्री टोंगर को फायर ब्रिगेड की उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए 'अग्नि शमन पदक' प्रदान किया गया। इसके अलावा पुनः राष्ट्रपति द्वारा वर्ष 1996 में राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किया गया। 
श्री टोंगर ने फिन्लैंड एवं जर्मनी से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है। आपके निर्देशन में अग्नि से बचाव पर फिल्म प्रदर्शन भी हुआ है।

Courtesy: 'Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas' By Ch. Khurshid Bhati Ji (page 422) 



Saturday, February 9, 2013

President's Police Medal Sh. Rajendra Singh Ghuraiya

श्री राजेंद्र सिंह घुरैया ( इंस्पेक्टर पुलिस मध्य प्रदेश )

आपका जन्म 17 अगस्त 1956 को ग्राम पारसेन, जिला ग्वालियर के कर्णधार श्री यशवंत सिंह घुरैया जी के घर हुआ। 
आपने भोपाल विश्वविद्यालय से 1978 में राजनीति विज्ञान में M.A. किया। 1979 में सब इंस्पेक्टर पुलिस अकेडमी सागर में आपकी प्रथम नियुक्ति हुई। 
ग्वालियर के विभिन्न थानों में डाकू विरोधी अभियान में अच्छे प्रदर्शन के लिए 2 जुलाई 1994 को राष्ट्रपति पुरस्कार से आपको सम्मानित किया गया। 

Courtesy: 'Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas' By Ch. Khurshid Bhati Ji ( page 421 )

President's Police Medal Sh. V. K. Singh ( Senior I.P.S. )

श्री वी .के . सिंह (वरिष्ठ आई.पी.एस.)

आपका जन्म गाँव खेडी भनोता, नोएडा जिला गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश निवासी श्रीमान एस.एल. सिंह ( Retired A.C.P. Delhi Police ) के यहाँ सन 1961 में हुआ था।
आपने दिल्ली के प्रसिद्द कॉलेज सेंट स्टीफंस से MSc. की डिग्री ग्रहण की।
सन 1984 में आपका भारतीय पुलिस सेवा में चयन हुआ एवं आपकी प्रथम नियुक्ति पुलिस अधीक्षक ग्वालियर के पद पर हुई। तत्पश्चात सन 1988 में शिवपुरी, मध्य प्रदेश में पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त हुए। इसके पश्चात् दमोह, बस्तर, बैतूल व उज्जैन में पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत रहे। फिर D.I.G. बने और वर्तमान में I.G. के पद पर आसीन हैं। आपको सन 2000 में सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला।
श्री वी.के. सिंह उन गिने चुने प्रतिभाशाली युवकों में से हैं जिनका अखिल भारतीय स्तर की सेवाओं में सीधा चयन हुआ है। हमें आप पर गर्व है।

Courtesy: 'Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas' By Ch. Khurshid Bhati Ji ( page 421 )

President's Police Medal Sh. Rustam Singh Awana ( I.G. Police )

श्री रुस्तम सिंह अवाना ( आई.जी. पुलिस )

आपका जन्म 5 नवम्बर 1949 को गिरगाँव, मुरार, जिला ग्वालियर, मध्य प्रदेश में पिता स्व. श्री प्रीतम सिंह जी के कृषक परिवार में हुआ।
पिताजी की प्रेरणा से बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री रुस्तम सिंह जी ने 1969 में प्रथम श्रेंणी से बी.ए. किया तथा बाद में एम.ए. एल.एल.बी. की उपाधि ग्रहण की। आपका अध्ययन एम.एल. कॉलेज में एवं एल.एल.बी. ग्वालियर, मध्य प्रदेश से हुई।
आपका पुलिस सेवा में प्रथम चयन सन 1977 में हुआ। आप अपर पुलिस अधीक्षक रायपुर और दुर्ग में भी रहे। तदोपरान्त सन 1987 में पुलिस अधीक्षक, 1993 से दिसंबर 1995 तक पुलिस अधीक्षक इंदौर, दिसंबर 1995 से 1998 तक पुलिस अधीक्षक रायपुर रहे और वहां ही प्रोमोट होकर डी.आई.जी. हो गए। 2001 में आप आई.जी. के पद पर आसीन हुए।
आपकी तत्पर एवं सराहनीय पुलिस सेवा के लिए 15 अगस्त 1994 को राष्ट्रपति विशिष्ट पुलिस सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो राष्ट्र एवं समाज के लिए गर्व की बात है।

Courtesy: 'Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas' By Ch. Khurshid Bhati Ji ( page 420 )

Wednesday, February 6, 2013

President's Police Medal For Gallantry Platoon Commander Sh. Ramakhtyar Singh ( Posthumously)

श्री राम अख्त्यार सिंह मावी 
राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार मरणोपरांत 
श्री राम अख्त्यार सिंह जैसे ही अठारह बरस के हुए, ग्वालियर आर्मी में भर्ती हो गए। द्वितीय विश्व युद्ध में ग्वालियर की फ़ोर्स इन्फेंटरी में इन्होंने बहुत नाम कमाया तथा हवलदार बना दिए गए। मध्य भारत की स्थापना के बाद ग्वालियर राज्य की फौज के जवान तथा अफ्सरान सशस्त्र पुलिस में सम्मिलित कर लिए गए। इस बल का नाम S.A.F. (Special Armed Force) रखा गया। श्री राम अख्त्यार सिंह इस प्रकार आर्मी से S.A.F.  में आ गए थे।
सन 1958 में श्री राम अख्त्यार सिंह को पदोन्नत कर प्लाटून कमान्डर बनाया गया। उन दिनों डाकुओं के सफाए के लिए चुने हुए जवानों और अफसरों का एक दल बनाया गया जिसे 'क्रेक कंपनी' नाम दिया गया। डाकू सरगना मान सिंह के सफाए में यह सशस्त्र बल गठित किया गया था। डाकू लाखन सिंह के गिरोह का अन्त करने का काम इसी कंपनी को सौंपा गया था। कर्नल शितोले इस बल के कमान्डेंट थे।
30 दिसंबर 1960 को डाकू लाखन सिंह का गिरोह ग्राम देवरा के बीहड़ में ठहरा हुआ था। क्रेक कंपनी ने डाकू लाखन सिंह के गिरोह को घेरना शुरू किया ही था कि मुठभेड़ शुरू हो गयी।
श्री राम अख्त्यार सिंह अग्रिम पंक्ति में अपनी पलाटून का नेतृत्व कर रहे थे। भीषण गोलीबारी की परवाह ना करते हुए श्री राम अख्त्यार सिंह ने डाकू लाखन सिंह का पीछा करना जारी रखा। आखिर उन्होंने दस्यु सरदार लाखन सिंह को धर दबोचा। लाखन सिंह ने रायफल की गोली दागी जो श्री राम अख्त्यार सिंह के सीने में लगी।श्री राम अख्त्यार सिंह ने घायल होने के बावजूद अपनी रायफल से अचूक निशाना लगा कर लाखन सिंह को ढेर कर दिया। श्री राम अख्त्यार सिंह भी वीरगति को प्राप्त हुए। अदम्य और उत्कृष्ट वीरता के लिए श्री राम अख्त्यार सिंह को मरणोपरांत राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

 It is mentioned in 'The History of the M.P. Police', page 371:
"Platoon Commander Ramakhtyar Singh was posthumously awarded the President's Police & Fire Service Medal for gallantry. His name will ever be remembered as that of a man who gave his life for the sake of destroying the most dangerous criminal of Madhya Pradesh, Lakhan Singh. In years to come, men will find inspiration in the exploits of the police officer, who with supreme courage led his men for war and in doing so took the reputation and prestige of the police forward for ever."

Courtesy: 'Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas' By Ch. Khurshid Bhati Ji (page419)



President's Police Medal Sh. Chhittar Mal Ji Gurjar

श्री छित्तर मल जी गुर्जर (आर आई)

 श्री छित्तर मल जी गुर्जर का जन्म 13 अगस्त 1945 को ग्राम गौना का सर, तहसील शाहपुरा, जिला जयपुर राजस्थान के एक गुर्जर परिवार में श्री कान्हा राम जी खलवा के घर हुआ था। सातवीं कक्षा पास करने के बाद 1965 में आप राजस्थान पुलिस में सिपाही भर्ती हुए। सर्विस में रहते हुए आपने 1981 में दसवीं कक्षा पास की। सिपाही से प्रमोशन प्राप्त करते हुए आप आर.पी.आई. के पद पर आसीन हुए। आर.पी.आई. के इस पद पर रहते हुए जयपुर पुलिस लाईन शहर, जयपुर पुलिस लाईन ग्रामीण क्षेत्र और पुलिस लाईन टोंक राजस्थान में पदस्थ रहे।
आपकी महत्वपूर्ण पुलिस सेवाओं के लिए 1992 में आपको राष्ट्रपति पदक से विभूषित किया गया। आप सामाजिक उत्थान के लिए भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं।

Courtesy: 'Gurjaron Ka Sampoorn Itihas' By Ch. Khurshid Bhati Ji (page 419)

Tuesday, February 5, 2013

President's Police Medal Sh Masood Chaudhary (Senior I.P.S.)

श्री मसूद चौधरी (वरिष्ठ आई.पी.एस.)

श्री मसूद चौधरी 'बजाड़' गोत्र के गुर्जरों के एक मध्यम वर्ग घराने के सुपुत्र हैं। यह घराना पुंछ जिले की मेंढर तहसील के गाँव काला बन में निवास करता है। उनके पिता श्रीमान बाबू फैज़ मुहम्मद जी शिक्षा विभाग से सम्बंधित थे। उन्होंने अपने क्षेत्र में शिक्षा के पिछड़ेपन को दूर करने का भरसक प्रयत्न किया। उन्होंने अपने पुत्र मसूद की शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया। इसी कारण वश चौधरी साहब, अलीगढ विश्व विद्यालय से कानून की डिग्री लेने में सफल रहे। आप प्रारम्भ से ही सांस्कृतिक और साहित्यिक सम्मेलनों में भाग लेते रहे। आपको कॉलेज मैगज़ीन के सम्पादकीय मंडल में सदस्य भी बनाया गया।
जम्मू कश्मीर के पुलिस विभाग में चौधरी साहब की नियुक्ति D.S.P. के पद पर 1967 में हुई। शीघ्र ही आपको S.P. बनाया गया और आप पुंछ एवं कठुआ जनपदों के S.P. रहे। ऊधमपुर में चौधरी साहब S.S.P. के पद पर आसीन रहे। जब चौधरी साहब का स्थानांतरण सतर्कता विभाग में S.S.P. के पद पर हुआ तो फिर आपको इसी विभाग में D.I.G. भी बनाया गया। फिर जम्मू का D.I.G. बनाया गया। इसके बाद पुलिस प्रबंधक के रूप में सम्पूर्ण राज्य का D.I.G. (Administration) बनाया गया।
शिक्षा और संस्कृति में विशेष रूचि रखने के कारण चौधरी साहब को शेर-ऐ-कश्मीर पुलिस अकेडमी ऊधमपुर का निर्देशक नियुक्त किया गया। इसी बीच राज्य मंत्रिमंडल की गत बैठक में श्री मसूद चौधरी साहब की राज्य के प्रति सेवा को पूर्ण स्वीक्रति देते हुए उन्हें I G Police के पद पर उन्नति दी गयी।
पुलिस विभाग के लम्बे सेवा काल में उन्हें कई सम्मान भी मिले हैं। 1984 में उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक और विशिष्ट सेवाओं के लिए 1995 में राष्ट्रपति का सम्मान उल्लेखनीय है।

Courtesy: 'Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas' By Ch. Khurshid Bhati Ji (page 418)


Monday, February 4, 2013

President's Police Medal Sh. Yashwant Singh Ghuraiya

राष्ट्रपति पुरस्कार - श्री यशवंत सिंह घुरैया (I.P.S. Retired)

श्री यशवंत सिंह घुरैया ने 4 बार राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर देश और समाज में अपने व्यक्तित्व का कीर्तिमान स्थापित किया है। आप बहुत बड़े समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ और उत्कर्ष्ठ साहित्यकार भी थे।
श्री यशवंत सिंह घुरैया के जीवन वृत को प्रारम्भ करने से पहले यह बात दुहरानी आवश्यक है कि महान पुरुषों का उद्भव कंटकाकीर्ण और दुर्गम विभीषिकाओं में होता है। यह एक यथार्थ सत्य है। इतिहास में ऐसे उदाहरण ढूँढने से ही मिलेंगे, जिन्हें महानता पैत्रिक रूप से मिली हो। किसी ने सोचा भी ना होगा कि क़स्बा पारसेन, ग्वालियर में जन्म लेकर मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे भारत के पुलिस अधिकारियों में वह उच्च कोटि की प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा। न्रवंश विज्ञान के विशारदों का मत है कि रक्त बोलता है, उसकी ध्वनि कालान्तर में सब सुन समझ सकते हैं। श्री यशवंत सिंह घुरैया की धमनियों में पराकर्मी राजा रामपाल सिंह का रक्त प्रवाहित है, जिसकी धाक से मुगलिया सल्तनत के सपने खटाई में पड़ गए थे। मराठा हुकूमत के लिए भी करील के कांटे की तरह दर्द बना रहा। करौली तथा जयपुर के राजाओं को उनसे सुलह करनी पड़ी।
श्री यशवंत सिंह घुरैया सन 1953 में सब इंस्पैक्टर पुलिस निर्वाचित हुए। पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज इंदौर से सफलता पूर्वक प्रशिक्षण पूरा करके जिला राजगढ़, मध्य प्रदेश में नियुक्त किये गए। तत्कालीन डी.आई.जी. श्री पुत्तू सिंह चौहान इनकी कार्य कुशलता से बहुत प्रभावित हुए। सन 1955 में इनकी नियुक्ति जिला भिंड के थाना गोरमी में की गयी। उस समय थाना गोरमी सर्कल में कई डकैत गिरोह प्रभावशाली थे। कल्ला उर्फ़ कल्याण सिंह, पहाड़ सिंह, महाराज सिंह तथा गब्बर सिंह के नाम विशेष कुख्यात थे। थाना गोरमी के 9 माह के कार्यकाल में 12 बार डकैतों से मुठभेड़ें हुईं जो इस थाने के इतिहास में सबसे अधिक मुठभेड़ें थीं। 
सन 1955 से 1962 तक जिला भिंड के महत्वपूर्ण थानों के थाना प्रभारी रह कर अत्यंत ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा की मिसाल पुलिस में प्रस्थापित की। कम समय में जनता एवं अधिकारियों के लोकप्रिय बनकर जनता जनार्दन की निस्वार्थ सेवा की। सन 1962 में पदोन्नत होकर सूबेदार नियुक्त हुए तथा सूबेदार कोर्स जबलपुर में आलराउण्ड बैस्ट घोषित किये गए। प्रशिक्षण उपरान्त जिला मुरैना के दस्यु अभियान में उपयुक्त समझ कर नियुक्त किये गए। जिला मुरैना में डाकू समस्या हल करने में श्री यशवंत सिंह घुरैया जी ने सराहनीय योगदान दिया है।
श्री यशवंत सिंह घुरैया 26 जनवरी 1967 में राष्ट्रपति द्वारा वीरता के पुलिस पदक से अलंकृत, 26 जनवरी 1971 में गुणोंत्क्रष्ट सेवा पदक से विभूषित, 1978-79 में सर्वोच्च अलंक्रण विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत और 1981 में चौथी बार अपनी अद्भुत बहादुरी के कारनामों के लिए शौर्य पदक से विभूषित हुए। इस तरह एक उच्च कोटि के समाज रतन ने बहादुरी में ऐसी मिसाल कायम की जो आजतक के इतिहास में अद्भुत है।
श्री यशवंत सिंह घुरैया पुलिस अधीक्षक के पद से 31 मार्च 1991 में रिटायर हुए। आप एक उच्च कोटि के समाज सुधारक, साहित्यकार और इतिहासकार थे। पुलिस विभाग की सेवा का भिंड जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में उनका कार्यकाल आज भी स्मरण किया जाता है।

Courtesy: Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas By Ch. Khurshid Bhati Ji (page 416)

Sunday, February 3, 2013

First Ashok Chakra (class 1) for Civilians

अशोक चक्र प्रथम श्रेणी (मरणोपरांत) 
श्री तेज सिंह गुर्जर (कोली), श्री पुरुषोत्तम सिंह गुर्जर एवं श्री लज्जा राम गुर्जर (कांवर)

12 सितम्बर 1964 की रात। ग्वालियर से 21 मील दूर चुरहेला गाँव को डकैतों के सशस्त्र गिरोह ने घेर लिया। यह 35-40 घरों वाला गुर्जरों का गाँव है। डाकू दल मार्क थ्री रायफलों तथा तलवारों से लैस थे। इन्होने आधी रात के सन्नाटे में श्री नोहन्त राम सिंह गुर्जर के घर में दिवार लांघ कर प्रवेश किया तथा महिलाओं के जेवर लूटना शुरू कर दिया। घर के बाहर चौपाल में श्री नोहन्त राम सिंह तथा उनके दो पुत्र श्री पुरुषोत्तम सिंह और श्री लज्जाराम सिंह और उनके दामाद श्री तेजसिंह (बमरौली निवासी) गहरी नींद में सोये हुए थे।
महिलाओं के चीत्कार को सुनकर उनकी नींद उड़ गयी। तेजसिंह ने लाठी उठायी और डाकुओं पर बाज़ की तरह झपट पड़े। तीनों ने सीने पर गोलियाँ झेलकर डकैतों को खदेड़ दिया। बूढ़े बीमार श्री नोहन्त राम सिंह गुर्जर के दोनों जवान पुत्रों तथा जवान दामाद ने जिस अदम्य साहस तथा वीरता का परिचय दिया वह अनुपम एवं अकथनीय है। आज भी इस इलाके में मिसाल दी जाती है कि:
मौत     मरै     तो     ऐसी 
नोहन्तराम के पूतों जैसी।
26 जनवरी 1965 को तीनों वीर गुर्जरों को मरणोपरांत अशोक चक्र प्रथम श्रेणी से विभूषित किया गया। उनकी विधवाओं ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड समारोह में पदक प्राप्त किये। उनके नाम हैं:
1. श्रीमती लालीबाई पत्नी स्व. तेजसिंह कोली ग्राम बमरौली, जिला मुरैना (म.प्र.)
2. श्रीमती सोनाबाई पत्नी स्व. लज्जाराम सिंह ग्राम चुरहेला, जिला मुरैना (म.प्र.)
3. श्रीमती बसंतीबाई पत्नी स्व. पुरुषोत्तम सिंह ग्राम चुरहेला, जिला मुरैना (म.प्र.)

22 जनवरी 1965 के अपने अंक में दैनिक 'हिंदुस्तान टाईम्स' ने लिखा था-
 First Ashok Chakra For The Civilians
Three women of Chambal, Churhela Village in Madhya Pradesh will receive on Republic Day the Ashok Chakra Class 1, awarded to their husbands. The villagers are Purushottam Singh, Lajjaram Singh and Tej Singh. "Our men faced the dacoits with unsurpassed bravery with lathies, they fought the armed dacoits for more than half an hour," Sona, one of the widow said proudly. 

Courtesy: Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas By Ch. Khurshid Bhati Ji (page415)

Ashok Chakra Ch. Gulamddin Gurjar

अशोक चक्र 
चौ. गुलामद्दीन गुर्जर जी 

चौ. गुलामद्दीन गुर्जर जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के डिगवार गाँव के निवासी थे। उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल कर देशभक्ति का कर्तव्य निभाया। उनकी इस साहसपूर्ण देशभक्ति के फलस्वरूप उन्हें 1966 में अशोक चक्र प्रदान किया गया।
1965 में चौ. गुलामद्दीन गुर्जर ने सही समय पर भारतीय सेना को पाकिस्तानी फौज के घुस आने की सूचना दी। इस प्रकार पुंछ के बिजलीघर को अपने साहसिक प्रयत्नों से दुश्मन द्वारा नष्ट होने से बचा लिया। अगर चौ. गुलामद्दीन गुर्जर पाकिस्तानी फौज द्वारा बिजलीघर को उड़ा देने की सूचना सही समय पर भारतीय सेना तक नहीं पहुंचाते तो इसके भयंकर दुष्परिणाम होते। 
चौ. गुलामद्दीन गुर्जर जी ने अपनी अपूर्व देशभक्ति और सूझ-बूझ द्वारा गुर्जर समाज की परम्परागत देशभक्ति का आदर्श उपस्थित किया। उनके इस महान कार्य के लिये भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राधा कृष्णन ने अप्रैल 1966 में उन्हें एक विशेष समारोह में अशोक चक्र से सम्मानित किया।

सौजन्य: गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास, लेखक चौ. खुर्शीद भाटी जी (page 414)

Ashok Chakra Lieutenant colonel D.C.S. Pratap (retd.)

अशोक चक्र 
लेफ्टिनेंट कर्नल डी.सी.एस. प्रताप (रिटायर्ड)

श्री लेफ्टिनेंट कर्नल डाल चंद सिंह प्रताप का जन्म पीलवान गोत्र के गुर्जर परिवार में लालपुर गाँव, मेरठ, उत्तर प्रदेश के श्री लखपत सिंह जी के यहाँ 4 जुलाई 1925 को हुआ। मेरठ कॉलेज, मेरठ से आपने शिक्षा प्राप्त की। खेलकूद का शौक प्रारम्भ से ही था। सीधे सैनिक अफसर चुने जाने पर उन्होंने डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज से 1955-1956 में शिक्षा प्राप्त की। आपको 19 नवम्बर 1944 को कमीशन मिला था। 5 मई 1957 में नागा हिल पर मुठभेड़ में साहस प्रदर्शित करते हुए घायल हुए। 9 अप्रैल 1959 में राष्ट्रपति द्वारा अशोक चक्र दिया गया।
श्री लेफ्टिनेंट कर्नल डाल चंद सिंह प्रताप अशोक चक्र प्राप्त करने वाले पहले गुर्जर थे। सदा से जीवन में आशा, उत्साह, और साहस का अपूर्व सामंजस्य स्थापित करते हुए आपने वीरता की जो मिसाल कायम की वह देश भर के गुर्जरों के लिए गौरवपूर्ण है।
9 अप्रैल 1959 को सांय काल 4 बजे दरबार हाल अलंकरण समारोह, राष्ट्रपति भवन में श्री लेफ्टिनेंट कर्नल डाल चंद सिंह प्रताप, 5 गोरखा राईफल्स को राष्ट्रपति द्वारा सेना का महत्वपूर्ण सबसे बड़ा पदक - अशोक चक्र (द्वितीय श्रेणी) दिया गया। इस अवसर पर निम्न वाचन पढ़ा गया-

25 मई 1957 को नाग़ा पहाड़ियों के चिशिलिमी चेशोलिमी क्षेत्र में 5 गोरखा राईफल्स, मेजर डाल चंद सिंह प्रताप की कमान में संक्रिया में लगी हुई थी। इस कंपनी का करीब 100 उपद्रवियों से मुकाबला हुआ जो मशीनगनों और टौमी तथा स्टेन गनों और राईफल्स से सुसज्जित थे। रास्ते में पास ही ऊपर उठी हुई जमीन में वे लोग अच्छी तरह छिपे हुए थे और उन्होंने 20 गज के फासले से फायर करना शुरू किया। हल्की मशीनगन का एक विस्फोट मेजर प्रताप की दाहिनी जाँघ में लगा। आपने घावों की प्रवाह ना करते हुए हमला किया और उपद्रवी गनमैन को मार गिराया। ठीक उसी समय दूसरी हल्की मशीनगन से मेजर प्रताप पर बायीं ओर से फायर आरम्भ हुआ जो उनसे 30 गज के फासले पर थी। इस फायर से उनके चेहरे और सीने पर गोली लगी जिससे वे बुरी तरह घायल होकर गिर पड़े। 
यद्यपि मेजर प्रताप इस प्रकार घायल हो चुके थे फिर भी उन्होंने अपनी पिछली प्लाटून को आदेश दिया कि वह एक तरफ से उपद्रवियों पर हमला करें। उनकी कंपनी ने उनकी वीरता और साहस से प्रेरणा लेते हुए इतने विश्वास के साथ उपद्रवियों पर हमला किया कि वे पीछे हटने पर मजबूर हुए। कंपनी के दो सिपाही हताहत हुए जिनमे से एक मेजर प्रताप स्वयं थे, जबकि कंपनी ने 10 उपद्रवियों को हताहत किया। 
मेजर प्रताप का वीरतापूर्ण नेतृत्व और व्यक्तिगत साहस उनके जवानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना।

सौजन्य: गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास, लेखक चौ. खुर्शीद भाटी जी (page 413)

Saturday, February 2, 2013

Vir Chakra Shaheed Captain Madan Pal Chauhan

अमर शहीद कैप्टन मदन पाल चौहान गाँव जसाला (दिसाला) तहसील बुढ़ाना जिला मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश चौहान गुर्जर परिवार के 27 वर्षीय युवक, शकरगढ़ के मोर्चे पर दुश्मन के 40 टैंक नष्ट करने के बाद आगे बढे तो पाकिस्तानी सेना के 4 टैंकों और विमान भेदी तोपों से खुद को बचा नहीं सके। इस हमले में विमान की खिड़की के सामने से गोली लगने के कारण 16 दिसंबर 1971 को शहीद होकर वीरगति को प्राप्त हुए।
अमर शहीद कैप्टन मदन पाल चौहान जी का जन्म 1944 में हुआ। आपके पिता श्री रहतू सिंह जी शिक्षा प्रेमी व्यक्ति थे। आगरा विश्वविद्यालय से आपने BSc. पास किया। 1963 में आर्टिलरी में सीधे सीनियर कमीशन प्राप्त कर सेकिण्ड लेफ्टिनेंट बने। 1968 में वायु सेना एयर ओ.पी. में आ गए। हौंसले और अरमान ऊँचे थे। 1970 में कैप्टन बने। सन 1971 में शकरगढ़ मोर्चे पर भारत पाक युद्ध में अपूर्व वीरता और शौर्य प्रदर्शित करते हुए डबल ड्यूटी हवाबाजी करके पाकिस्तान के 40 टैंक नष्ट करने का श्रेय प्राप्त करने के बाद 16 दिसंबर 1971 को वीर गति को प्राप्त हुए।
अमर शहीद कैप्टन मदन पाल चौहान को अपूर्व वीरता और शौर्य प्रदर्शित करने के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति द्वारा वीर चक्र प्रदान किया गया और वायुसेना का एक्सग्रेसिया एवार्ड 42 हज़ार रुपये का दिया गया।

सौजन्य: गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास, लेखक चौ. खुर्शीद भाटी जी (page 412)

Vir Chakra Second Lieutenant Bharat Singh Kasana

सैकिंड लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना जी का जन्म 5 अगस्त 1949 को श्री खड़क सिंह कसाना जी के घर गाँव जावली, जिला गाजियाबाद (उ.प्र.)  में हुआ। आपका कमीशन 14 मार्च 1971 को हुआ और आपको 4 दिसंबर 1971 के दिन पुरस्कृत किया गया।
सैकिंड लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना डोगरा रेजिमेंट की एक प्लाटून के कमान्डर थे, जिन्हें पूर्वी क्षेत्र के मदुरबेरे  पर अधिकार करना था। अत्याधिक आधुनिक मशीनों की धुंआधार गोलाबारी के कारण उनकी प्लाटून आगे बढ़ने से रुक गयी। सैकिंड लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना जी ने अपनी प्लाटून को एकत्रित किया और स्वचालित हथियारों और तोपों की गोलाबारी के मध्य से गुजरते हुए दुश्मन के खंदकों पर आक्रमण किया।
इस दौरान पैर में गोली लगने से घायल होने पर भी उन्होंने आक्रमण जारी रखा। गोलियों से उनका सिर भी छलनी हो गया था, लेकिन तब तक वे दुश्मनों की खंदकों पर अधिकार कर चुके थे।
इस कार्य में सैकिंड लेफ्टिनेंट भरत सिंह कसाना जी ने अद्भुत वीरता, उच्च श्रेणी के नेतृत्व और दृढ निश्चय का परिचय दिया।

सौजन्य: गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास। लेखक चौ. खुर्शीद भाटी जी ( page 411)

Brothers Make History

दो सगे भाई जिन्होंने एक साथ वीर चक्र प्राप्त कर इतिहास रचा..!!

1971 के हिन्द-पाक युद्ध में वायु सेना में दो सगे भाई विंग कमान्डर चरणजीत सिंह और स्क्वार्डन लीडर जसजीत सिंह ने अपने अदम्य साहस और वीरता प्रदर्शन से एक साथ वीर चक्र प्राप्त किया। देश में इसके पहले एवं इसके बाद अब तक ऐसे इतिहास की मिसाल नहीं मिलती। 
ये दोनों सगे भाई इसी युद्ध (1971) में महावीर चक्र प्राप्त करने वाले 'बॉर्डर' फिल्म के केन्द्रीय पात्र ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी के कुटुंब से हैं और गुर्जर समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति स्व. सरदार साहब सादार संत सिंह मीलू के सुपुत्र हैं। तत्कालीन अखबारों के लिए यह इतिहास रचना मुख्य खबर थी। डेली न्यूज दी हिन्दुस्तान टाईम्स के मुख्य प्रष्ठ पर इसका विवरण इस तरह से मिलता है:

Brothers Make History

In the annals of the Indian Armed Forces fighter pilots, Wing Commander Charanjit Singh and Squadron Leader Jasjit Singh have created a new chapter. This is the first time that two brothers have simultaneously been awarded the Vir Chakra for conspicuous acts of gallantry in the Dec.71 war.
The two brothers, however shrug it off as part of the game, "we come from a fighting family, we even fight among ourselves"
This is not the first time that Wg. Commander Charanjit Singh, the elder of the two brothers, has won an award for gallantry. He was decorated in 1965 for deep penetration into enemy territory. In 1971 he received the Vishisht Seva Medal (VSM) for distinguished service. He also fought in Congo war in 1961.
In the last war, Wg. Commander Charanjit Singh made at least 20 sorties in both the eastern and the western sectors and has been awarded the Vir Chakra during several successful missions.
Squadron Leader Jasjit Singh, who has received the Vir Chakra for destroying a number of tanks, guns and bunkers, admits that he is still trying to catch up with his brother 'who has fought more wars and is more decorated.' Squadron Leader Jasjit Singh, who was involved in the western sector in the ground attack fighter squadron led a number of sorties in the thick of the battle.
His wife, who is a doctor in the Air Force, also contributed in her way by tending the wounded soldiers in the hospitals.

Courtesy: Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas By Ch. Khurshid Bhati Ji (page 410)

Thursday, January 31, 2013

Vir Chakra - Lieutenant Colonel Sh. Girdhari Singh Ji

ले. कर्नल गिरधारी सिंह जी को डबल मिलिट्री वीरता पदक इटली की गारी नदी के मोर्चे के सफल नेतृत्व पर मिला। अंग्रेजी अफसरों ने आपको टाईगर ऑफ़ इटली व गारी नदी का टाईगर कहा। ले. कर्नल गिरधारी सिंह जी जन्म जात सैनिक योद्धा थे। उन्होंने हमेशा साहस और सूझ बूझ से सैनिक मोर्चों पर विजय प्राप्त की। उन्हें गुरिल्ला रण शैली का सहज ज्ञान था। वे मौत से कभी नहीं डरते थे। जोखिम लेना उनका स्वभाव था। देहरादून की मिलिट्री अकैडमी में ऑफिसर्स को ट्रेनिंग देते समय ले. कर्नल गिरधारी सिंह जी की रण शैली का पाठ पढ़ाया जाता है।
पदक जीतने की तारिख  26 फरवरी 1948
दिसंबर 1947 से मार्च 1948 तक ले. कर्नल गिरधारी सिंह जी एक बटालियन को कमाण्ड कर रहे थे, जो कि छम्म सैक्टर में तैनात थी। शत्रु ने इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए कई बार हमले किये। यद्यपि उस दुर्गम स्थान पर हमारे उचित सुरक्षा साधन उपलब्ध नहीं थे, फिर भी आपने अपने कुशल नेतृत्व में बटालियन के जवानों को उत्साहित किया और बुद्धिमानी से योजना बनाकर शत्रु पर हमला किया और शत्रु को बुरी तरह परास्त किया।
26 फरवरी 1948 की रात को ले. कर्नल गिरधारी सिंह जी ने स्वयं दो कंपनियों को लेकर शत्रु पर हमला किया। शत्रु सैनिकों पर भारी गोलीबारी की जिससे काफी तादात में दुश्मन के सैनिक हताहत हुए और शेष अपनी जान बचाकर रण क्षेत्र से भाग खड़े हुए। दुश्मनों के 30 मृत सैनिकों की लाश और बड़ी संख्या में घोड़े व खच्चर युद्ध भूमि में रह गए। इस बहादुर अफसर की उच्चकोटि की वीरता, दृढ निश्चय और कुशल नेतृत्व से खुश होकर भारत सरकार ने आपको वीर चक्र प्रदान किया।
अक्टूबर 1948 में आपकी बटालियन कश्मीर घाटी पहुंची। यहाँ जोजिला पहाड़ी पर पाकिस्तान के साथ घमासान युद्ध चल रहा था। इस युद्ध में सक्रीय रूप से भाग लेने के लिये 77 पैरा ब्रिगेड की तरफ से आपकी बटालियन को आदेश मिला। जोजिला पहाड़ी (ऊँचाई 11370 फीट) जो कि हमेशा बर्फ से ढकी रहती है, बहुत ही दुर्गम पहाड़ी है और हमारी थल सेना की जो बटालियने उस सैक्टर में तैनात थीं, वे सभी उस दुर्गम पहाड़ी पर कब्ज़ा करने में असमर्थ रहीं। दुश्मन का जोर बराबर बढ़ता जा रहा था। ऐसी विषम परिस्थितियों में आपकी रण कौशलता को देखते हुए आपको आदेश मिला कि आप अपनी पलटन से उस अजेय पहाड़ी पर हमला करवाएं।
15-16 नवम्बर 1948 की रात को बर्फानी तेज़ हवाएँ और भयानक तूफान चल रहा था। भयंकर जाड़े की उस ठंडी रात में बाहर निकलने की कोई साधारण आदमी हिम्मत नहीं कर सकता। परन्तु आपने सभी जवानों का साहस बढ़ाकर उन्हें जोश दिलाया और बजरंग बलि की जय बोलकर उस काली अंधियारी भयानक ठंडी रात में उस दुर्गम पहाड़ी पर योजनाबद्ध तरीके से हमला बोल दिया। पहले आपने दरास (Dras) पर कब्ज़ा किया और फिर जोजिला की अगम पहाड़ी पर जाकर भारतीय सेना का झंडा गाड़ दिया। यह जीत केवल आपकी रण कौशलता एवं कुशल नेतृत्व के कारण ही संभव हो सकी। भारत सरकार ने वह दिन आपकी बटालियन को 'युद्ध सम्मान दिवस' के रूप में मनाने की अनुमति प्रदान की और आज भी यह बटालियन युद्ध सम्मान दिवस को 'जोजिला डे' के नाम से प्रतिवर्ष 15-16 नवम्बर को बड़े हर्षोल्हास के साथ मनाती है।
सेना से रिटायर होकर आप मरणपर्यंत मुख्य सुरक्षा अधिकारी रहे और हमारी गुर्जर बिरादरी की अखिल भारतीय गुर्जर सुधार सभा के सन 1965 से मरणपर्यंत निर्विवाद अध्यक्ष रहे। वे अनुशासन प्रिय, ईमानदार और सादगी पसंद नेता थे। गुर्जर समाज को उन पर सदैव गर्व है कि न केवल सेना में अपितु सेवानिवृत होने के पश्चात भी अपने समाज और राष्ट्र का गौरव बढाया। सन 1976 में उनका देहावसान हृदय गति रुक जाने से उनके कृषि फ़ार्म हाउस, नया गाँव (बल्लभगढ़) में हुआ था।

सौजन्य: गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास, लेखक चौ. खुर्शीद भाटी जी (page 408)

Wednesday, January 30, 2013

ऑर्डर ऑफ़ ब्रिटिश इण्डिया (O B I) ब्रिगेडियर चौ. ख़ुदा बक्श खारी

आप जम्मू और कश्मीर के खारी गोत्र के गुर्जर थे। आपके पिता का नाम चौ. गौस बक्श था। आपने 1921 में प्रिंस ऑफ़ वेल्स कॉलेज जम्मू से स्नातक की डिग्री ली। तत्पश्चात 1922 में जम्मू और कश्मीर फौज में सैकिण्ड लेफ्टिनेंट से भर्ती हुए। 1937 में आप कर्नल बने और द्वितीय विश्व युद्ध पर जाने से पहले 1939 में आपने सैकिण्ड जे.के.राइफल्स की कमान सम्भाली।
रियासती फौज की उस रेजिमेंट को अंग्रेज हुकूमत ने मोर्चे पर भेजने के लिये माँगा तो महाराजा हरि सिंह ने इस शर्त पर यह रेजिमेंट भेजी कि उसकी कमान मेरा अफसर ब्रिगेडियर चौ. ख़ुदा बक्श ही करेगा। अंग्रेजों ने यह शर्त मान ली। आपने अपनी रेजिमेंट की कमान बड़ी बहादुरी से की और इसके फलस्वरूप आपको ऑर्डर ऑफ़ ब्रिटिश इण्डिया की पदवी से विभूषित किया गया। इस पदवी के लिये आपको 450 रुपये मासिक वजीफा तीन पुश्तों के लिये और मुल्तान में जागीर भी दी गयी।
इस पदवी के साथ ही आपको ब्रिटिश इण्डिया आर्मी में कमीशन दिया गया। 1946 में जम्मू एवं कश्मीर सेना के कमांडर इन चीफ बने और 1950 में इसी पद से रिटायर हुए। 1962 में चीनी हमले के समय रिटायर्मेंट के बावजूद भी आपने अपने देश के लिये सेवाएं दीं।

सौजन्य: गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास, लेखक चौ. खुर्शीद भाटी जी (page 404)

Tuesday, January 29, 2013

ऑर्डर ऑफ़ ब्रिटिश इंडिया (O B I) सूबेदार मेजर ऑनरेरी कैप्टन भैरों सिंह खटाना (1868---1928)

सूबेदार मेजर ऑनरेरी कैप्टन भैरों सिंह खटाना का जन्म सन 1868 में ग्राम खेड़ली कैमरी, तहसील नादौती जिला करौली राजस्थान के श्री हरगोविंद सिंह खटाना के परिवार में हुआ।
आपने फौजी प्रशिक्षण लाहौर में लिया तद्पश्चात सैकिंड बटेलियन फ्रंटियर फ़ोर्स में भर्ती हुए। सन 1930 में कैप्टन भैरों सिंह खटाना 4 नायक 18 जवानों के साथ सोमालिलैंड में एक माउन्टेन घुड़सवार इन्फेंटरी का हिस्सा बन कर गए तथा 19 दिसंबर 1903 को जिन्दबली की लड़ाई में सिपाही धन्नाराम गुर्जर को गिरते हुए और बहुत कठिनाइयों में फंसा हुआ देखा तो भैरों सिंह अकेले ही वापस मुड़े और दुश्मन के घुड़सवार दस्तों को चीरते हुए, भारी गोलीबारी की परवाह न करते हुए सिपाही धन्नाराम को अपने घोड़े पर लाद कर युद्ध के मैदान से बाहर निकाल लाये। उसके बाद वापस जाकर दुश्मन दस्ते का सफाया कर दिया।
इनकी इस बहादुरी के लिये इन्डियन ऑर्डर ऑफ़ मेरिट (O I M) मैडल दिया गया। बाद में इसी लड़ाई के दौरान और अधिक शूरवीरता दिखाने के कारण श्री भैरों सिंह खटाना को ऑर्डर ऑफ़ ब्रिटिश इंडिया (O B I) पदक से विभूषित किया गया।
इस बहादुरी के लिए अंग्रेज़ सम्राट ने श्री भैरों सिंह खटाना से जब उनकी उत्कंठ इच्छा पूछी तो युद्धपुरोधा श्री खटाना ने गुर्जरों को सेना में भर्ती कराने के लिये सम्राट से इजाजत पायी। प्रसन्न सम्राट ने गुर्जरों के लिये सेना में 40 प्रतिशत भर्ती के आदेश कर दिए। इस महान शूरवीर को अपनी बहादुरी, कौशल और कर्तव्य  परायणता के फलस्वरूप उनकी तीन पीढ़ियों को लगातार पैंशन मिलती रही। जयपुर महाराज ने श्री खटाना को 'राजस्थान-केसरी' की उपाधि देकर विभूषित किया तथा 100 रुपये प्रतिमाह पुरस्कार स्वरूप पैंशन जीवित रहने तक भेजते रहे। 
ऐसे वीर की अमरगाथायें ही हमारी प्रेरणा का स्त्रोत हैं। आज आपके परिवार में से 4 पौत्र और 6 प्रपौत्र भारतीय सेना में विभिन्न रेजिमेंट में भर्ती होकर राष्ट्र सेवा में अपनी अहम् भूमिका निभा रहे हैं।

सौजन्य: गुर्जरों का सम्पूर्ण इतिहास, लेखक चौ. खुर्शीद भाटी जी (page 402)

Monday, January 28, 2013

Gurjar Avatars, Auliyas, Gurus & Sufi Saints

GURJARS IN HINDU DHARM:

1. Ved Mata Gayatri Devi
2. Bhagwan Sh. Devnarayan Ji
3. Bhagwan Sh. Kaaras Dev Ji
4. Sh.Sh.1008 Shri Baba Ramratan Das Ji Maharaj Karah Wale
5. Mahant Jagannath Das Ji Maharaj
6. Sant Pyare Ji Maharaj
7. Mahant Jagannath Das Ji Karmyogi
8. Pujya Paad Sh. Ram Ji Baba
9. Sant Budh Giri Ji
10. Mahatma Hardev Puri Ji
11. Swamy Atmanand Maharaj Ji
12. Swamy Achla Nand Gorsi Ji
13. Mahamahim Sh.Jodhadas Ji Swamy
14. Sh. Samarth Govind Maharaj Ji
15. Swamy Varun Vesh Ji
16. Sh. Shri 108 Chechi Maharaj Ji
17. Swamy Karuna Nand Ji
18. Mahashya Harbansh Singh Sarvodayi
19. Swamy Narayan Das Ji Maharaj
20. Sant Brahmanand Ji Bhoori Wale
21. Sh. Nirmal Das Ji Chela Sh.Raghav Das Ji
22. Sh. Kranti Das Ji
23. Sh. Ram Ji Baba
24. Bibi Kirpi Radha Swamy
25. Mahatma Sevanand Ji Maharaj
26. Sant Bhola Ram Ji Maharaj
27. Swamy Aranya Muni Ji
28. Sant Ramsharan Das Ji
29. Mahatma Abhiramdas Ji Vedantacharya
30. Paramhans Swamy Narayan Ji Saraswati
31. Sant Kevaldas Ji
32. Bhakt Jeeta Patel
33. Sant Madhodas Ji
34. Sant Sh. Jagannath Ji Kasana
35. Swamy Jayprakash Das Ji Ramayani
36. Sh. Snehi Bhakt Ji
37. Sh. Shri 108 Mahant Hiralal Ji Chauhan
38. Swamy Brahamdas Ji
39. Paramhans Sant Bukhardas Ji Maharaj
40. Sant Narayandas Ji
41. Sh. Bhoura (bahora) Bhakt
42. Sh. Shri 108 Shri Ramdas Ji Maharaj
43. Siddh Baba Mohakam Das Ji Maharaj
44. Shri Thadeshwar Ji Maharaj
45. Shri Ganesh Nath Ji
46. Sh. Bhola Nath Ji
47. Swamy Nardanand Ji
48. Sant Prabhat Giri Ji
49. Sant Suraj Giri Ji
50. Swamy Madhodas Ji Maharaj
51. Mahant Premdas Ji
52. Mahant Deva Nath Ji Paatawi
53. Sh. Shri 1008 Shri Durlabhram Ji Maharaj
54. Mahant Shri Nirmal Ram Ji Maharaj
55. Sh. Beela Baba Ji
56. Swamy Karmveer Ji Maharaj
57. Pujya Guru Shri Satyapal Ji Maharaj
58. Swamy Sadashivanand Ji Maharaj
59. Sh. Shri 1008 Mahant Bhudevdas Ji Maharaj

GURJARS IN MUSLIM DHARM (Auliyas & Sufis):

60. Hazarat Baba Ji Sahab Laarvi (Abdulla)
61. Hazarat Baba Ji Sahab Laarvi (Nizamuddin)
62. Miyan Mohd. Poswal
63. Saain Ganji
64. Saain Meera
65. Saain Fakkardin
66. Miyan Noor Jamal Wali
67. Hazarat Shah Jamal Gurjar

GURJARS IN SIKH RELIGION (Guru & Sant)

68. Sant Fateh Singh Ji Maharaj
69. Sant Baba Balwant Singh Ji Maharaj

GURJARS IN JAIN RELIGION

70. Muni Shri Ratanchandra Ji Maharaj

Courtesy: "Gurjaron Ka Sampoorn Itihaas" by Ch. Khurshid Bhati Ji

Friday, March 4, 2011

Gurjar Reservation

 



हमारे देश को आज़ाद करने की जंग मे गुर्जर समाज का योगदान क्या था यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है. अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने के लिए गुर्जर जंगलों में छिप कर अंग्रेजों पर वार करते थे. भारत वर्ष को गुलामी की जंजीरों से आज़ाद करने के लिए यह जंग जरुरी थी और इसीलिए गुर्जर जानवरों के साथ जंगलों में जीवन यापन करने लगे. जंगलों में रहने के कारण गुर्जर शिक्षा के मूलभूत अधिकार से वंचित रहे. अगर उस समय शहरों में रहकर अंग्रेजों की सत्ता को स्वीकार लेते तो आज हम भी बड़े पैमाने पर शिक्षित होते और शायद आरक्षण की जरुरत न महसूस करते. हमारे पूर्वजों को लगा था कि आज़ादी के लिए दी गयी उनकी क़ुरबानी के बदले उन्हें वह सब कुछ तो मिलेगा ही जो एक सभ्य नागरिक का अधिकार है, लेकिन अफ़सोस की सरकारें चाहे कोई भी रहीं, गुर्जर हमेशा उपेक्षा के शिकार ही रहे.

गुर्जर प्रतिहारों के शासन का अंत और देश कि गुलामी एक साथ शुरू हुई. आज हालत यह है कि एक समय इस देश पर राज़ कर चुका गुर्जर समुदाय आज अनुसूचित जनजाति की मांग को लेकर रेल पटरियों पर जमा है. राजनितिक पार्टियों द्वारा कभी हाँ कभी ना करते रहना, समुदाय की भावनाओं से खेलते रहना आखिर कब तक चलेगा. क्या वतन पर मरने वालों के साथ स्वतंत्र भारत में ऐसा व्यवहार करना उचित है..??

गुर्जर समुदाय पहले देश को आज़ाद करने की लड़ाई लड़ा और आज इस व्यवस्था से लड़ रहा है. जब तक भारत की कोई भी जाति अपने हक़ से दूर होगी तब तक गणतंत्र के लिए पूर्वजों की सोच अधूरी ही रहेगी.

Friday, December 31, 2010

नववर्ष 2011 की मंगल कामनायें..!!



मै अपनी एवं अपने परिवार की ओर से आप सभी मेरे मित्र और मेरे सामाजिक बंधुओं को नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ.
मै प्रार्थना करता हूँ कि आने वाले वर्ष का हर दिन आपके और आपके परिजनों के लिए एक नयी खुशियों भरी सुबह लेकर आये.
आपका परिवार, आपके मित्र आपके साथ हों, सफलता-सौभाग्य-सेहत हमेशा आपका साथ दें और आपका विवेक, आपकी सदबुद्धी आपको हर रोज़ एक नयी बुलंदी पर ले जाये...!!

Wednesday, November 24, 2010

Gurjar Sites

Here is a list of sites/blogs either by Gurjars or on Gurjars.
I have tried to put these sites in Alphabetical order. I am sure I might be missing a number of other sites too. So I request you to please update this list by sending the link of sites/blogs that you know are missing here, at my e-mail id: sheel.gurjar@gmail.com











http://bagdawat.blogspot.com/


http://blogs.siliconindia.com/yogikhari/Gujjar-bid-30k671ZW73559272.html


http://dedhaindia.com/index.htm


http://dgurjar.com/index.html


http://ektahospital.com/ourdoctors.html


http://gorsilawfirm.com/home.html


http://greatgujjars.blogspot.com/


http://gujjar.net/index.html


http://gujjartimes.blogspot.com/


http://gujjarmatrimonial.blogspot.com/


http://gurjarrock.blogspot.com/


http://gurjardesh.org/index.html


http://gurjartimes.com/index.php


http://gurjarhospital.com/


http://gurjar.co.in/index.php


http://gurjarsforum.proboards.com/index.cgi


http://gurjarland.blogspot.com/2009/05/facts-of-gurjars.html


http://gurjareducationsociety.org/index.php


http://gurjarpower.com/


http://gurjarsworld.com/


http://gurjarsprofessionaldiary.blogspot.com/


http://gurjar.org/Index.aspx


http://gurjarchemicals.com/


http://gurjarchessacademy.com/


http://gurjarscreens.com/


http://gurjarspestrid.com/


http://infosys.com/about/management-profiles/Pages/nandita-gurjar.aspx


http://indianetzone.com/27/gujjar_community_sudras.htm


http://indiasgreatest.com/nandita%20gurjar.html


http://joshuaproject.net/people-profile.php?rop3=112160&rog3=IN


http://karaanchoudharytalkies.blogspot.com/


http://komalgurjar.blogspot.com/


http://landhoraestate.com/index.html


http://levagurjars.org/info.htm


http://meridayari.blogspot.com/


http://monkvibes.blogspot.com/


http://meajeet.blogspot.com/


http://mahil18.blogspot.com/


http://neelesh-gurjar.livejournal.com/


http://paramanovigyan.blogspot.com/


http://prakashgurjar.com/


http://pranavchampion.com/


http://www.paswal.com/


http://rajeshpilot.com/


http://rashidfaridi.wordpress.com/2008/05/28/gujjar-tribe/


http://ravikasana.blogspot.com/


http://revegujars.com/


http://rkbasatta.blogspot.com/


http://royalgurjars.blogspot.com/


http://sachinpilot.gov.in/


http://sachinkrgurjar.blogspot.com/


http://shesh-fir.blogspot.com/


http://sidtheruler.blogspot.com/


http://somkhatana.blogspot.com/


http://sunilgurjar.blogspot.com/


http://twocircles.net/2008jul04/it_sin_be_gujjar.html


http://tripatlas.com/Gujjars


http://veergujjar.proboards.com/


http://wapedia.mobi/en/Gurjar


http://youthgurjar.com/index.php


http://yuwarajgurjar.com/wild_life_photography_india/index.php

http://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Gurjar_clans

http://www.gurjarsanskriti.in/index.html

http://www.ssatechno.in/



Thursday, November 4, 2010

"शुभ दीपावली"



इस दिवाली सुख-समृद्धि की देवी माँ लक्ष्मी जी आपके जीवन में, घर परिवार में और आपके व्यवसाय में वास करें.
आपके जीवन में रौशनी और सुख-समृद्धि की वर्षा हो.
ये दिवाली आपको और आपके परिवार
को बहुत बहुत मुबारक हो.
मेरे परिवार और मेरी तरफ से अपने सभी पाठकों को और पूरे गुर्जर समाज को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें.

Saturday, October 30, 2010

Sardar Patel


सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद गुजरात मे हुआ था. देश के स्वतंत्रता संग्राम मे उनके महत्वपूर्ण योगदान से हम सभी परिचित हैं. सरदार पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री थे. और फिर उप-प्रधानमंत्री बने. उन्हें अपने चरित्र, कर्त्तव्य निष्ठ जीवन और सही समय पर अहम् निर्णायक फैसले लेने की क्षमता की वजह से लौह पुरुष भी कहा जाता है.
सरदार पटेल जी का जन्म एक लेवा गुर्जर कृषक परिवार मे हुआ था. वे श्री झवेरभाई पटेल और श्री मति लदबा की चौथी संतान थे. सोमभाई, नरसीभाई और विठ्लभाई उनके अग्रज थे. उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा गाँव मे ही प्राप्त की. लन्दन से बैरिस्टर की पढाई पूरी कर के अहमदाबाद मे वकालत करने लगे. गोधरा सत्याग्रह के बाद सरदार पटेल कांग्रेस के एक निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप मे सदैव सलंग्न रहे.
खेडा सत्याग्रह, बारडोली आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन, दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, व्यक्तिगत सत्याग्रह, भारत छोडो आन्दोलन आदि राष्ट्रीय संघर्षों मे सरदार पटेल सक्रिय सेना नायक की तरह भाग लेते रहे. इस दौरान उन्हें कई बार जेल की कठोर यातनाएं भी सहनी पड़ीं. बारडोली कसबे मे सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पहले बारडोली का सरदार और बाद मे केवल सरदार कहा जाने लगा.
गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्रार्थमिकता देसी रियासतों को भारत मे मिलाना था, जो उन्होंने बिना खून खराबे के कर दिखाया. 565 रियासतों मे से केवल हैदराबाद के ओपरेशन पोलो के लिए उनको सेना भेजनी पड़ी. भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हें भारत का लौह-पुरुष माना जाता है.
हमारे देश की विडम्बना ये है की ना तो केंद्र सरकार और ना ही अन्य राज्य सरकारें सरदार पटेल का जन्म दिवस मनाती हैं. अमर शहीद भगत सिंह, लालबहादुर शास्त्री जी और नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की तरह अब सरदार पटेल जी को भी सरकारी तौर पर भुलाया जा रहा है.
आज हमें ख़ुशी इस बात की है कि हमारे गुर्जर भाई अपने अपने प्रान्त, जिला, सामाजिक स्तर पर सरदार पटेल जी का जन्म दिन पूरे जोश और हर्षोल्लास से मना रहे हैं.

Sunday, October 10, 2010

Dowry

Despite the existence of several socio-feminist movements and the passing of laws in1961, declaring dowry (money & wealth transactions in marriages by coercion between the bride & the groom) illegal, India still witnesses horrific perpiteration of crime on women, as a subsequence of inadequate dowry payments in the marriages.

Most of us need no introduction to why dowry is a threat and what obvious as well as subtle forms of its menace continue to terrorize the destiny of Indian girls and their families.

I believe most of us are socially aware people who feel deeply pained with ongoing shameless and condemnable practice of dowry in our society.

I find this evil in its strongest form (in our community) in and around Delhi & NCR. A few reasons I see for it are - acquirement of land leading to flow of money, personal jealous comparison with relatives or known ones and fake social status etc. I see illiteracy as a main cause behind all this. By illiteracy I mean, illiteracy of thoughts, of moral values and humanity.

Very often we boast (some criticize) that we are living in an ultra modern society, a few go to an extent of hitting women publically for exercising their so called fundamental right. But are we really civilized..??

Every year thousands of girls are being killed because of this dowry. I think this can be eradicated by youths only. My dear community men please unite against this and say we can change this trend. We can stop dowry. My dear friends please unite against this national bug. Youth can change the world, then what this dowry is in front of youth..?? Say we will eradicate this disease.

The dowry system which is in practice to this day, although been declared illegal, had led to female infanticides, sufferings, discriminations and making families to loose their wealth.

For all of us who have taken up arms in the battle against dowry, today we begin winning the fight, let us fight against this evil. I feel, it is high time that the educated youth community react against the anti social culture of dowry.

                                            "I Must Do It"

"I must do something" always solves more problems than "something must be done". Accepting dowry is equally bad as demanding dowry. In our community, it is given different names like - gift to a daughter, love from parents etc. No matter how it is demanded or accepted, it is after all dowry which is polluting whole society and forcing a middle class common man to do, if not better, atleast equal to his knowns.

Please stop this trend and be a part of this change..!!

Saturday, September 25, 2010

बिखरता पारिवारिक ढांचा..!!

मित्रों  चलिए आज तीन-चार दशकों पहले और अब के पारिवारिक ढांचे पर चर्चा करते है | एक समय था, जब परिवार संयुक्त हुआ करता था, प्रेम और विश्वास के सूत्र में बंधा हुआ करता था | एक ऐसा समूह जिसमे घर के चंद अनुभवी और योग्य परिवार की दिशा निर्धारित करते थे और बाकि के सदस्य उनके विश्वास में विश्वास करते हुए उस दिशा में अग्रसर होते थे | बहुत सुख, शांति और अंदरुनी ताक़त महसूस होती थी तब | एक का अनियोजित बोझ जब दस कंधे ढोते थे, भार का पता ही नहीं चलता था, एक की ख़ुशी के क्षण का जब एक समूह भोग करता था, खुशियाँ और उससे मिलने वाला संतोष कई गुना बढ़ जाया करता था |
समय के साथ आये बदलाब ने संयुक्त परिवार के ढांचे की न केवल नींव हिला दी, बल्कि स्थिति अब यह है कि अब उस ढांचे के भग्नावशेष ही कहीं यदा-कदा दिख पाते है | बीते दो- चार दशकों में समाज में किन-किन स्तरों पर ऐसा क्या परिवर्तन हों गया, जिसने न केवल कानूनी तौर पर, बल्कि व्यावहारिक तौर पर भी परिवार की व्याख्या " पति-पत्नी और उनके बच्चों " तक ही सिमित कर दी |
कई कारण गिनाये जा सकते है इस गलत दिशा में हुए बदलाब के, जिनमे से कुछ सहज ही परिलक्षित होते है, मसलन :
१) भौतिक शिक्षा को बढावा और नैतिक शिक्षा के प्रति उदासीनता
२) भूमंडलीकरण का बढ़ता प्रभाव
३) स्व-सम्पूर्णता की बलवती होती भावना
४) आपसी विश्वास और ईमानदारी में गिरावट
मैंने कहीं एक लेख पढ़ा था, स्वसामर्थ्य का बढ़ना, एक दुसरे पर आधारित होने की भावना का दिन प्रतिदिन कम होता जाना भी बिखराव की बड़ी वजह है, उदहारण कुछ यूँ दिया गया था कि " शेर  संयोगवश ही झुंड में चलते दिखलाई पड़ते है, ये तो भेड़-बकरिया हैं जो झुंड में चला करती हैं " | तो क्या इंसानो का दिन प्रतिदिन बढ़ता सामर्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में, धन अर्जन के क्षेत्र में, भी एक बड़ी वजह है इस तेजी से पैर पसारते अलगाव की |
चलिए इस चर्चा को अपने-अपने अनुभवों के आधार पर आगे बढाते है और कोशिश करते है वास्तविकता के करीब के निष्कर्ष तक पहुचने की | संभव है कोई कमजोर कड़ी दिख जाये, जिसकी समय रहते मरम्मत हो सके और कुछ कदम उस अमूल्य ढांचे के पुनःनिर्माण क़ी तरफ बढ़ चलें और फिर कारवां बनता चला जाये |

Monday, September 20, 2010

A New Blog On Gujjar Matrimony

Hi,

I have created a new blog exclusively for gurjar matrimonials. The link is:

http://gujjarmatrimonial.blogspot.com/

I invite you to place your children's matrimony here at this new blog. The only condition is you should be a gurjar looking for a gurjar match only.

With warm regards & all the best wishes,

sheel

Sunday, September 5, 2010

MATRIMONY - Wanted Gurjar Groom.

Hi,
This matrimony is for a genius gurjar girl from Jabalpur MP. She has won Governor's Medal & President's Medal as well. After her regular studies, she is now pursuing MBA from Symbiosis Pune.
Her basic details are:


Date of Birth : - 06-November-1984

Time of Birth : - 04:55 AM

Place Of Birth : - Jabalpur MP

Height : - 5’6”

Educational Qualifications :- Passed PGDCA Exam from Makhanlal University as a regular student of college.
Passed Master degree Arts with Sociology from RDVV. Jabalpur.
Passed Bachelor Degree Examination from RDVV.
Pursuing MBA From Symbiosis Centre For Distance Learning Pune

English Shorthand

Hindi Shorthand

English & Hindi Typing

Currently : - Working for Infosea Yellow Pages Bhopal

Father’s Gotra : - Thingsariya

Mother’s Gotra : - Kodar

About Her : - A Down to earth, simple girl. Wants to live in a
joint family. Amazing artist (Drawing Painting
Sketching Mehandi, Rangoli and other Arts , likes
music. Seeks an understanding and caring
partner.She believes in simple living. Tries to keep
everyone around happy with her behavior.

Professional Qualification :-

Hindi Typing 25 W/M (M.P. Board)
Hindi Shorthand 100W/M (M.P. Board)
English Typing 30 W/M (Nagpur Board)
English Shorthand 100 W/M (Nagpur Board)

Diploma in Desk Top Publication 2 Months course from Kalaniketan Polytechnic College Jabalpur with Aye Grade.

Commercial Office Assistant 2 Months course from Kalaniketan Polytechnic College Jabalpur

Computer Knowledge :-
M .S. Office - M. S. Word, Excel, Power Point, M.S. Access
Photo Shop, Page Maker.
Languages Fox pro, Visual Basic.

Other Achievement :-
Governor Award in Scout & Guide
President Award in Scout & Guide
NCC “B” Certificate with Aye Grade
NCC “C” Certificate with Cee Grade

Hobbies:-
Listening Music & watching movies.

Contact details:
savigurjarjbp.patel@gmail.com

Please contact directly to the girl's parents at the email add. given above or you can contact through this blog too.

Jitender Chaudhary (gurjar) proud president DUSU-2010

As was expected - a gurjar candidate won the DUSU election. I, on behalf of my readers congratulate Mr. Jitender Chaudhary (ABVP) for winning this election.
Jitender defeated his nearest rival by 1943 votes. Here I am not going to share all the candidates profiles and the election result in detail.
I wish Jitender will be loyal to his new post. He has won the confidence of his voters, so he should be more sincere towards their betterment. Also this is the beginning for him. A very bright future is awaiting. He should develope a habbit of sincerity, loyality, dedication and a bold leadership qualities with a positive attitude.
We as his community men, expect from him, his love towards his gurjar biradari as well.
This is indeed a great achievement for our community that we have won this election successively twice. Gurjars are showing their presence in every field. I still feel, we lack a gurjar leader at higher levels. But I also know that in the coming years we will have real young gurjars at higher political posts. And I am sure this generation is full of dedication for its community welfare. I am contented with a fresh new beginning.

Tuesday, August 31, 2010

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव और गुर्जर..!!

दिल्ली विश्वविद्यालय मे छात्र संघ चुनाव 3 सितम्बर को होंगे. विभिन्न छात्र संगठनों की ओर से 41 छात्र मैदान मे हैं. एक ओर पुराने प्रतिद्वंद्वी NSUI और ABVP हैं तो दूसरी ओर SFI , AISF , और INSO . किसी के पास जाति और संगठन की ताकत है तो किसी के पास घिसे पिटे मुद्दे. ग्लैमर का रंग अब फीका हो गया है पर जाति और पैसे का बोलबाला जारी है. वोट दिलाने की भूमिका में अब पुराने दादा टाइप छात्र नेता नहीं बल्कि चतुर और कुशल मैनेजर सामने आ गए हैं. यूथ मैनेजरों के दम पर चलने वाले इस चुनाव मे जीत उसी की होगी जो ज्यादा से ज्यादा छात्रों के बीच कनेक्शन बिठाने का दमखम रखता हो.
कभी जुझारू नेताओं और शख्स के नाम पर पहचान बनाने वाला डूसू ( DUSU ) अब सिर्फ नाम का रह गया है. उसके शानदार और मजबूत भवन को कुछ समय पहले नेस्तनाबूद कर दिया गया. बिन भवन वाले डूसू के मंच पर इस बार अध्यक्ष पद पर ABVP ने जीतेन्द्र चौधरी को खड़ा किया है. जीतेन्द्र ने डूसू चुनाव लड़ने के लिए बौद्ध अध्ययन विभाग में ऍम ए में दाखिला लिया है.  NSUI के हरीश चौधरी का भी यही हाल है. हरीश ने अरविंदो कॉलेज सांध्य में दाखिला लिया है. दोनों अध्यक्ष पद उम्मीदवार हमारी गुर्जर बिरादरी से हैं. लोहे को लोहा ही काटेगा वाली तर्ज़ पर दोनों बड़े संगठनों ने दिल्ली में दमखम रखने वाली गुर्जर बिरादरी को आमने सामने ला खड़ा किया है. इनके मुकाबले को रोचक बनाने के लिए अन्य संगठनों के 8 और उम्मीदवार मैदान में हैं.
उपाध्यक्ष पद पर NSUI ने जहाँ वर्धन चौधरी को उतारा वहीँ ABVP ने प्रीया डबास को. सचिव पद पर ABVP ने जाट बिरादरी की छात्रा नीतू डबास को उतारा तो NSUI ने उसी बिरादरी से दीपिका देशवाल को. आखिरी संयुक्त सचिव के पायदान पर ABVP ने गढ़वाली पंडित के रूप मे सौरभ उनियाल को उतारा तो NSUI ने आरक्षित कोटे से अक्षय कुमार को खड़ा किया है. इन सब के बीच INSO ने तीन पदों पर जाट और एक पद पर गुर्जर उम्मीदवार को उतार कर छात्रों के जातिगत वोट बैंक में सेंध लगा दी है.
डूसू का मंच आम छात्रों का कैरिअर बनाने में उतना मददगार भले ही साबित ना हुआ हो पर यहाँ प्रतिनिधित्व करने वाले छात्र नेताओं ने अपना कैरिअर खूब चमकाया है. इस लिहाज से देखें तो भाजपा नेता अरुण जेटली हों या विजय गोयल. कांग्रेस सांसद अजय माकन हों या कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा. ये सभी एक समय में डूसू के अध्यक्ष रहे हैं. इनके अलावा भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता भी एक समय डूसू के उपाध्यक्ष रहे हैं. इन नेताओं के अलावा सांसदों, विधायकों, और पार्षदों की लिस्ट काफी लम्बी है जो इस मंच से आने के बाद क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति में अपना कैरिअर चमकाते रहे हैं.
इन सब के बीच एक बात तो लगभग तय है कि इस बार चाहे ABVP जीते या NSUI , डूसू अध्यक्ष तो गुर्जर ही होगा. इन दो दलों के अलावा किसी और दल का उम्मीदवार अध्यक्ष पद जीते ऐसी उम्मीद बहुत कम है. मै अभी से कह सकता हूँ कि लगातार दो सालों तक गुर्जर छात्रों का डूसू के अध्यक्ष पद पर काबिज़ रहना, आने वाले समय में गुर्जर समुदाय के लिए एक शुभ संकेत है.

Monday, August 23, 2010

Social/Community Service In Its Truest Form..!!

Today I am going to introduce you to a young Gurjar guy doing a very big commendable job for his community and the society as well.
This is Mr. Chintamani Kapasia. A native of village Jaunth, Mr.Kapasia is employed with Central Govt. for the last 12 yrs.
Since his employement, he found that no other gurjar youth of his village could get a govt. job. Instead, the youth was more or less engaged in alcoholic addiction and other anti society activities. So Mr. Kapasia decided to coach his village youth for physical ability tests and competitive examinations.
At first he created a youth club and with the permission of his village authorities, he started his one of its kind school. As no rooms and other facilities were available, this school was opened in a ground under tents.
Mr. Kapasia would come to his village every Friday night and the next two days ie; Saturdays & Sundays are dedicated to his selfless mission. All this for free. Mr. Kapasia do not charge a single paisa from any body for his services.
Around two months ago when a student of Mr. Kapasia, Rinku got selected in Central Reserve Police Force ( C.R.P.F. ) people from nearby villages were also impressed by this laudable job of Mr. Kapasia. Now he has 28 students in his class.
Mr. Kapasia is prepairing his students for U.P. police, Delhi police, paramiltary, army, raiways and banking entrance examinations. Mr. Tridiv Kapasia, brother of Mr. Chintamani Kapasia is supporting his mission by training the youths for physical tests.
This confident mission of Mr. Kapasia has changed the lives of the youth of his area.
I wish every village or block in India should have such motivated hardworkers like Mr. Chintamani Kapasia, who are doing self less social service in its truest form.

Monday, August 9, 2010

गुर्जरों के साथ अन्याय क्यों..??

This article is taken from 'Gurjar Karwan' magazine. And the best thing about it is, that this article has been written by a non gurjar, Mr. Pushpesh Pant.


Mr. Pant is Ex. Dean J.N.U. & Ex. Professor International Studies.

"भारतीय इतिहास मे गुर्जरों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. आज से लगभग हज़ार वर्ष पहले गुर्जर प्रतिहार नामक एक बड़े प्रतापी राजवंश ने उत्तर भारत के बहुत बड़े भू भाग पर अपना साम्राज्य स्थापित किया था. आज जो प्रांत गुजरात के नाम से जाना जाता है उसका नाम यही सूचित करता है कि गुर्जरों का नाम इस क्षेत्र के साथ घनिष्ठ रूप से जुडा रहा है.

इसे एक बहुत बड़ी विडम्बना ही कहा जा सकता है कि गुर्जर शब्द के अपभ्रंश गुज्जर के बदलने के साथ साथ इस स्वाभिमानी समुदाय की प्रतिष्ठा और सामाजिक स्थिति में भी दुखदायक बदलाव हुआ है.

पिछले वर्ष जब राजस्थान में आरक्षण के मुद्दे को ले कर गुर्जर-मीणा संघर्ष का विस्फोट हुआ था तब लोगों को अचानक यह बात याद आई कि गुर्जरों के साथ कितना अन्याय अब तक होता रहा है. उस वक़्त जो आश्वासन दे कर गुर्जरों के गुस्से को ठण्डा किया गया था उन्हें पूरा करने की बात आज किसी को याद नहीं रह गयी है.

गुर्जरों के साथ छल कपट नया नहीं है. औपनिवेशक काल में अंग्रेज़ अफसरों से सुनी सुनाई बातों के आधार पर और गुर्जरों के साथ स्वार्थ के टकराव के कारण दूसरी जातियों के आरोपों को सच मान कर उन्हें जरायम पेशा प्रवृति वाला मान लिया गया. गुर्जर जो पहले ही वंचित और अभावग्रस्त थे, इस पूरे दौर में शिक्षा और सरकारी नौकरियों के लाभ से वंचित ही रह गए. आज किसी भी कसौटी को अपनाएं बहुसंख्यक देहाती गुर्जरों को पिछड़े वर्ग में ही शामिल किया जा सकता है. झगडे कि असली जड़ यही है कि आज भले ही पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण कि व्यवस्था सरकार ने कर दी हो, वास्तव में इसका कोई लाभ गुर्जरों को या उन जैसे दूसरे समुदायों को कतई नहीं हो सकता.

राजस्थान की ही बात करें तो गुर्जरों से कहीं कम पिछड़े और वास्तव में अगड़े और तगड़े मीणाओं का शुमार अनुसूचित जनजातियों में किया जाता है और इसका भरपूर लाभ वे पीढ़ी दर पीढ़ी अब तक उठाते रहे हैं. टकराव का असली कारण मीणाओं का अपने राजनैतिक एकाधिकार में किसी भी दखलांदाजी स्वीकार ना करने कि मानसिकता है. पिछले दो ढाई वर्ष में संसद और विधान सभा के निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्परिसिमन हुआ है जिसके कारण अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए निर्धारित सीटें विस्थापित हुई हैं. इसका सीधा नुक्सान गुर्जरों को होता नज़र आ रहा है. गुर्जर बहुल इलाके वाली सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने का लाभ मीणा ही उठा सकते हैं और अब तक अपने इलाके और लोगों का समर्थ प्रतिनिधित्व करने वाले गुर्जर नेताओं को हाशिये पर रख दिया जायेगा.

कभी अपने यशस्वी पिता राजेश पाईलट कि विरासत सँभालने वाले सचिन पाईलट को लोक सभा में पहुंचने के लिए अंततः अजमेर शरीफ कि राह तलाश करनी पड़ी. यह बात याद रखने लायक है कि तेजस्वी और प्रतिभाशाली करिश्माई व्यक्तित्व वाले सचिन पाईलट के लिए ऐसा करना संभव था पर हर किसी से यह उम्मीद नहीं की जा सकती.

आज से कई बरस पहले जब चौधरी चरण सिंह ने गैर कांग्रेस वाद के आरंभिक दौर में 'अजगर' वाला फ़ॉर्मूला ईजाद किया था. तब यह समझाया गया था कि अहीर, जाट, गुर्जर, राजपूत आदि सभी जातियों की बराबर की हिस्सेदारी इस संयुक्त मोर्चे में रहेगी. पर बहुत जल्दी यह बात साफ़ हो गयी कि चौधराहट चलेगी सिर्फ जाटों की ही. चौधरी चरण सिंह खुद कुछ समय के लिए भारत के प्रधानमन्त्री भी बन गए पर गुर्जरों के कल्याण के लिए उन्होंने ख़ास कुछ किया हो याद नहीं पड़ता.

यहाँ इस बात का उल्लेख करना बेहद जरुरी है कि जहाँ तक गुर्जर नेताओं का सवाल है उन्होंने कभी भी जातिवाद को भुनाने की चेष्टा नहीं की. राष्ट्रीय स्तर पर सबसे कद्दावर हैसियत वाले राजेश के नाम के साथ वायु सेना में उनकी नौकरी और देश सेवा सूचित करने वाला 'पाईलट' नाम लगा था और इसे ही सचिन भी इस्तेमाल करते हैं.

यह बात भी याद रखने लायक है की गुर्जरों ने निश्छल, निष्कपट भाव से दिए गए आश्वासनों पर हमेशा ही यकीन किया है और लगन के साथ सेना या सरकार की नौकरी की है. राजस्थान में राजनैतिक रस्साकश ज्यादातर राजपूतों और जाटों के बीच ही चलती रही है. हरियाणा के जाटों के दबदबे को चुनौती देने का जिगरा गुर्जरों से कहीं अधिक संख्या वाले अहीर - यादवों तक को नहीं हो सकता. उत्तर प्रदेश और दिल्ली में गुर्जर समुदाय छितराया हुआ है और कहीं भी एक ऐसे वोट बैंक के रूप में नहीं जिसकी चिंता किसी बड़े नेता को हो. यही दुर्भाग्य गुर्जरों की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है.

अंत में एक बात साफ़ करने की जरुरत है. इन पंक्तियों का लेखक सैद्धांतिक रूप से जन्म या जाति के आधार पर अनियतकाल तक आरक्षण का विरोधी है और यह भी मानता है की राजनैतिक मौका परस्ती में आरक्षण का दायरा निरंतर बढाया जाना राष्ट्र हित में नहीं. मगर इस बारे में लेखक के मन में लेशमात्र भी संदेह नहीं की गुर्जरों की लडाई न्याय की लड़ाई है. यदि गुर्जर अपने को अनुसूचित जाति में शामिल किये जाने की मांग कर रहे हैं तो इसके तर्कसंगत और जायज कारण हैं.

आज अगर कर्नल बैंसला जैसे सेना के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ अफसर को खाकी वर्दी उतार पारम्परिक धोती पहन, पगड़ी सम्भालकर रेल की पटरी या राजमार्ग पर धरना देने बैठने को मजबूर होना पड़ता है तो यह हम सभी के लिए शर्म और चिंता की बात है. गुर्जरों के साथ न्याय किया जाना चाहिए और जबतक हमारा सविंधान आरक्षण की व्यवस्था लागू रखता है तब तक गुर्जर समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना चाहिए. इस मामले में दोहरे मानदंड या पाखण्ड को स्वीकार नहीं किया जा सकता.'

Wednesday, August 4, 2010

Youth Gurjar Federation Doing Excellent Job.

Youth Gurjar Federation organizes a Football Tournament on 6,7,8 August 2010 at stadium in Sector 21 Noida.YGF is also active for sports development of youths. So dear friends please come and join us at Noida. Entry for team is open & Win a prize like 1st Team -10,000, 2nd Team 6,000, 3rd Team-4,000 Entry Fee 3k & age limit 23yr for more details contact Prajesh -9873580588 you can also email at, sports@youthgurjar.com


Please contact Y.G.F. for further querries.

Sunday, July 25, 2010

Communication Gap.

As my earlier post say," Illiteracy is the root cause of all devils in our community"

I would further like to pen down that, Dowry, Honour Killing, Same Gotra Marriage, Mis - Match Marriage, Generation Gap, Superstitions, Ego etc. are the branches of this tree called devil.

And Communication Gap is its stem..!!

Its not that illiterate people do not have moral values. Infact our fore fathers who were mainly illiterate, had highest moral & social values..!! So what went wrong and where..??

I believe the answer is that, we are not open to discuss our personal matters with our parents and vice versa. Or in simple words - COMMUNICATION GAP. Here the first duty is of the parents to ease the atmosphere at home.

I have heard," when your shoe fits in your son's foot, treat him like your friend."

Perfect..!!

But, I go beyond this. Why wait for the shoe to fit in our children's feet? Being a father of a 13 yrs old son & 10 yrs old daughter, I am very easy & friendly with my kids. I want to be their best friend. I want them to discuss every problem directly with me. I want to know their likes & dislikes. I want to be there when they need me most. And I am successful..!!

I have observed that when we give liberty to our children ( ofcourse to a deserving limit ), our children become more sensible and sincere. They do not need to hide and lie to their parents.

A child who fears of being scolded and beaten by his parents have all the possibilities of doing wrong. And on the contrary, a child who is friend to his parents will never go or do wrong for the fear of his loyality, faith and sincerety towards his parents.

A single person can bring change in his family only. But he can not do much for his community. Even 2-4-10 of us also can not make much difference. But 20 - 40 - and 100's of us can make a big difference. A big positive difference..!!

First need of the hour is to educate ourselves instead of educating others. It does not matter we are literate or not. A good understanding with our children plus faith and confidence on them plus a healthy conversation in between can never spoil our children and the community as well.

Thursday, July 15, 2010

Medical check-up before marriage......... How important it is.

Too much has been said & discussed on intercast marriage, same gotra marriage, kundalini milaan before marriage etc.
I have never heard anyone talking on medical check-up of the boy and girl before their marriage, specially in context of possibility of transfer of genes. If medical check-up be done before marriage, the possibility of Thalassemia, Haemophilia, Celiac or Hemoglobinopathy will be known to us. Henceforth, the prevention can be done.
Aids and other hereditary diseases can be prevented by just a simple blood test of the couple before their marriage. After a certain period of time it becomes impossible to cure hereditary diseases. So its better to avoid marriage of a couple who have presence of a same gene. Many problems can be avoided by just checking the RH factor of the couple. The children of the couple where girl is RH negative and boy is RH positive, are found with big ailments.
The only solution to prevent /stop diseases like Thalassemia is medical check-up of the couple before their marriage. Actually, there are 23 pairs or 46 chromosomes in one body. If one gene is defected/abnormal, then the other genes of the couple cover this problem. This gene is called as regressive and the patient is called as silent carrier. If both the husband and wife are silent cariers, there is a 25% possibility of Thalassemia in their child.
We can avoid such problems/diseases by medical check-up of the couple before marriage. Hereditary problems are leading to a long list of diabetic and cancer patients today. Doctors believe, if the couple have any gene of such hereditary diseases, there is a great possibility of their children being born patients.

Monday, July 12, 2010

HONOUR KILLING ( 2 )

मै अपने सभी readers और contributors का धन्यवाद करता हूँ कि आपने अपना समय निकाल कर इस ब्लॉग को पढ़ा और यहाँ अपने विचार शेयर किये.


मेरी हमारे समाज के हर तबके के लोगों से ऑनर किल्लिंग के इस चर्चित विषय पर बात हुई है. यकीन करें 80% लोगों ने इसको बिलकुल गलत बताया. अभी भी 20% हमारे गुर्जर भाई हैं जिन्हें यह सब सही लग रहा है. और इनमे वोह पढ़े लिखे लोग भी हैं जो अपने जीवन में कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर सके. Frustrated और confused मानसिकता वाले लोग..!!

गुर्जर खून चाहे हमारे देश का हो या पाकिस्तान या किसी अन्य विदेशी मुल्क का - इस खून की रिवायत है जोश मे आना - सदीयों से है. गुर्जर एक genuine martial race है. जोश मे आना लाज़मी है. उन तीन लड़कों ने जोश मे ही कुछ गलत कर दिया ये बात एक तरफ है. दूसरी तरफ ये बात है की 20% लोग उनका समर्थन क्यों कर रहे हैं?

मेरा मानना है कि क्योंकि गुर्जर जो कि गुंडागर्दी, बदमाशी, माफिया, क़त्ल और अपहरण के लिए मशहूर रहा है - ये 20% लोग वो हैं जो बेचारे न 3 के रहे न 13 के..!! मतलब अपने जन्म से जवानी तक इन्होने गुर्जर को एक माफिया के रूप मे ही देखा, गुर्जर dons को ये लोग अपना आदर्श मानने लगे. लेकिन इनके माता पिता के अच्छे सन्सकारों ने इन्हें शिक्षा की ओर बढ़ा दिया. आज ये लोग शिक्षित तो हैं पर confused भी. आज ये अपनी उस दबी वेदना पर किसी दूसरे बिरादरी भाई के कृत्यों का मलहम लगा रहे हैं.

मै इस तरह के समाज सुधारकों से कहना चाहूँगा कि क्रप्या एक बार दस मिनट के लिए अपनी आँखें बंद कर के चिंतन करें और खुद के साथ न्याय करें.

आज आप pride & honour की बात कर रहे हैं - मै भी इन तीनों लड़कों का मुरीद हो जाता अगर ये अपनी बहनों को मारने के बाद अपने प्राइड - ओनर के लिए खुद को भी गोली मार देते तो..!!

अनिल गुर्जर ने बिलकुल सही लिखा है कि ये ऑनर किल्लिंग के समर्थक एक भी ऐसा वाकया बता दें जहाँ इनका ऑनर क़त्ल करने के बाद वापिस आ गया हो?

मैने अखबार मे पढ़ा था कि उन तीनों लड़कों में से एक सरकारी गवाह बन गया है. अगर ये सच है तो इसका मतलब किल्लिंग से ज्यादा ऑनर अब सरकारी गवाह बनने में है..!! सरकारी गवाह बनने के बाद अब वोह कैसे justify करेगा ऑनर किल्लिंग को??

कल के अखबार "हिन्दुस्तान" में एक सर्वे आया था जिसमे पूरे देश के सभी धर्म जाति के लोगों ने हिस्सा लिया. 90% लोगों ने माना कि कानून में संशोधन किया जाए ताकि ओनर किल्लिंग के मामलों में सख्त से सख्त सजा मिल सके.

और आज के अखबार में एक बहुत ही अच्छी खबर आई है - title है -" नोएडा की पंचायत मे ओनर किल्लिंग का विरोध" इसमें लिखा है की नोएडा के मोरना गाँव की पंचायत में बुजुर्गों और युवाओं ने ऑनर किल्लिंग को गलत ठहराया. पंचायत की अध्यक्षता मोरना गाँव के ही बुजुर्ग श्री रतन सिंह ने की. बच्चों को समझाना है पर जीवन नहीं मिटाना है... ये स्लोगन उन हत्याओं को रोकने का सन्देश था जो ऑनर किल्लिंग के नाम पर की जा रही हैं.

सब कुछ साफ़ है समाज में बदलाव आ रहा है. चाहे युवा हों या बुजुर्ग, हर कोई हत्याओं के खिलाफ हैं- कुछ मुट्ठी भर confused लोगों को छोड़ कर..!! ये pride और honour की बात करने वाले हमारे भाई जाने अनजाने में गुर्जर समाज का अहित कर रहे हैं. बड़ी मुश्किल से हमारे समाज के ऊपर लगा माफिया का लोगो हट रहा है. और आज का युवा गुर्जर शिक्षा का महत्व समझ रहा है.

गुर्जर अब mainstream मे आ रहा है - नाज़ुक क्षण हैं - इसलिए मेरे 20% भटके हुए भाइयों please किसी तरह के भड़काऊ प्रवचन न दें.

आपको honour की चिंता है ना तो ये भी जान लें कि गुर्जर समाज का honour हत्या करने से नहीं बढेगा बल्कि शिक्षा और सेवा से बढेगा.

Thursday, July 8, 2010

NDTV on GURJARS - SPECIALS. A MUST WATCH..!!

Hi..!!
Below is the link of NDTV's special programme on gurjars. This was aired on 2nd July 2010. http://www.ndtv.com/news/videos/video_player.php?id=150460
This programme shows a true picture of the self respect & dignity of gurjars.
This is a must must watch video for all gurjars & non gurjars.

Thursday, July 1, 2010

Honour Killing.

What happened in village Wazirpur, Delhi and such similar cases in Haryana, U.P. & other parts of country..?? One Gurjar girl along with her husband and her friend (also gurjar) were murdered by girl's real brother & his friends, just because this girl married outside gurjar community. This triple murder involves three friends(all gurjars), two of them killing their real sisters.
I invite all of you to share your views on this topic.
Personally, I condemn this animal instinct. I am against killings. Be it honour killing..!! We have no right to kill anybody. If we do not approve our children marrying out side our community, Is murder only alternative? Are we human? Intercast marriage may be wrong for so many of us but Is it a sin to which murder is the only punishment? Who gave us the authority to decide someone else's fate? To take someone else's life? To destroy atleast two families?
Today, I was shocked to see in orkut, a member had posted the snaps of these three murderers and below the photo this member has commented," I am proud of these guys."
I think these three guys who did such a cheap & mean act of murdering their sisters and brother-in-law, have done this only to come in light,"गुंडागर्दी मे नाम करने के लिये" and not as honour killing.
How can a person who murders his real sister has an honour?  If your son or brother marries a girl outside your cast, it is o.k. You forget this after a couple of months & accept the bride ('coz your son or brother will feed you) Why is it that all the honours are associated with girls relatives/brothers only?
There are so many questions. Please share your views here.

Sunday, June 13, 2010

Gurjar - Gujjar Matrimony

Hi!

I am here again after a long gap. Was quite busy with routine office work. I was also busy sending this blog address to all my friends, my gurjar groups and directly to group members on orkut, face book etc.

My blog is new. Still more than 300 visitors have already visited this blog. But the number of actual contributors is very low. Anyway!!

I am not sure how it will sound!! I think I am doing a fine job by placing Matrimony here among all of you educated guys.

This matrimony is for a Delhi based girl. She lost both of her parents at a younger age. She has been educated and brought up by her maternal uncle (mama) under rich family values.

The girl is 24 yrs. old. Is highly intelligent, not only in general awareness & education but also in day to day activities. She has completed her BSc. Biology Honors. Presently she is doing M.B.A. She has a good command over English language. She is also teaching in a reputed institute in South Delhi.

Her basic details are:

HEIGHT:                      5ft.6in.

D.O.B.:                        16 Feb. 1986

EDUCATION:              BSc. Biology Honors. Delhi University

Gotra's to save: Tanwar & Baisoya

She is the only sister to her two younger brothers.

Girls family's requirement is (1) An educated boy with a decent job - govt. or pvt. (2) Boy's height should be atleast 5'8  (3) And a family who is not interested in dowry, who believe in education and sanskars.

Please contact me either through the blog or on my e-mail : sheel.gurjar@gmail.com

Kindly note: People interested in dowry are requested not to reply to this post.

Warm regards,

sheel

Thursday, May 20, 2010

Root cause of all the evils in our community.

Yesterday a friend of mine had a visit to my office. During our long discussion on almost every topic concerning our community, we finally agreed that the root cause of all evils in our community is illiteracy.

As it is said in Hindi "सभी बीमारियों कि जड़ कब्ज़ है", so is that" Illiteracy is the mother of all evils in society"

I have the hounor of attending a number of Gurjar meetings. The concluding lines everywhere remain almost same" हमें गुर्जर समाज से सभी कुरीतियों को जड़ से ख़त्म करना है!! And the meeting is adjourned. I could never understand nor did anybody discuss the ways to eradicate these evils. My purpose to start this blog is actually to discuss & implement too. I know alone I can do nothing, even 2, 4, 10 of us also can not make much difference but 20, 50 & 100's of us can make a big difference. A positive difference!!

So please come forward. Share your views, post your comments and contribute a little of your time for a noble community cause.

Sunday, May 16, 2010

Gujjar As I Am

नमस्ते
आज अक्षय त्रित्या के इस पवित्र पावन दिन मे इस ब्लॉग की शुरुआत कर रहा हूँ. यह सब मेने पहले कभी सोचा नहीं था बस अभी दो दिन पहले एक विचार आया - फिर क्या था? एक शुभ शुरुआत की देर थी. और अक्षय त्रित्या से शुभ भला क्या होता? अक्षय का मतलब ही है जो मिटाया न जा सके. कहा जाता है कि इस दिन किये गए हमारे सभी शुभ और अशुभ कर्म कभी मिटते  नहीं हैं.
हाँ इस ब्लॉग का क्या नाम होना चाहिए था यह थोडा मुश्किल काम था. थोड़ी हाँ और ना के बाद मैने यही ठीक समझा कि नाम भी बिल्कुल सिम्पल सा होना चाहिए जैसा कि मै खुद हूँ.
सच में मै खुद को सिम्पल ही मानता हूँ. ऐसे कम ही लोगों से मै मिला हूँ जिन्हें मै सही मायने में सिम्पल सोबर मानता हूँ. एक जिक्र मै करना चाहूँगा - भाई सुभाष नागर का. आप जितने पढ़े लिखे हैं उतने ही नम्र हैं, जितने आप महान हैं उतने ही सिम्पल भी हैं. खैर इनके बारे में फिर किसी दिन जरूर लिखूंगा - आज मेरा दिन है.
मैने इस ब्लॉग का नाम "जैसा मै हूँ" इसलिए रखा क्योंकि मै उन विचारों को बोल, लिख या शेयर नहीं कर सकता जिनसे मै सहमत ना होऊं और जो ओरिजिनली मेरे नहीं हैं. लेकिन वीर गुर्जर बिरादरी जो कि खुद एक मिसाल है, इसके बारे में आप सभी के बहुमूल्य विचार और जानकारियों का इस ब्लॉग में हमेशा स्वागत है और रहेगा. हमारे आपस में जुड़ने से ही हमारा समाज जुड़ेगा.
आज मै इस ब्लॉग को हमारी वीर गुर्जर बिरादरी को समर्पित करता हूँ.
मै खुशकिस्मत हूँ और मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरा जन्म एक गुर्जर परिवार में हुआ. मै अपने माता पिता का शुक्रगुजार हूँ, धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने मुझे शिक्षा और संस्कार दिए. मै कोशिश करूँगा कि अगली पीढी तक यह शिक्षा और संस्कार ले जा सकूँ. इस शिक्षा के सूत्रधार असलियत में मेरे दादा स्व. चौ. हुकुम सिंह बोसट्टा हैं जिन्होंने अपने सभी बच्चों को अच्छी तालीम दी. मेरे पिता स्व. डाक्टर पी.एस.वर्मा ने भारत सरकार की ३२ साल प्रथम श्रेंणी राजपत्रित अधिकारी रह कर सेवा की.
इसी परम्परा को मेरे बड़े भाई श्री राजकुमार बोसट्टा ने आगे बढ़ाया. अपनी स्नातक शिक्षा पूरी करने के बाद भाई साहब ने सेन्ट्रल पुलिस ओर्ग्नेजेष्ण की परीक्षा पास की और २४ साल की उम्र में आपने  भी प्रथम श्रेंणी राजपत्रित अधिकारी बनने का गोरव प्राप्त किया.
लेकिन मै इस परम्परा को आगे नहीं बढ़ा सका. मुझे सच में अफ़सोस होता है की मै अपने माता पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका. शायद यही मेरी किस्मत थी और मै किस्मत में भी यकीन करता हूँ!!

Gurjar As I Am

Hi!

Today, on this auspicious day of Akshaya Tritiya, I'm starting my blog. Akshaya means that can not be destroyed! It is believed that whatever good or bad karmas we do on this day remain forever. So we should always try to do good karmas not only on this day but always. And try to avoid any bad karma or thought.

It was actually not pre planned. It took only a couple of days for this idea to come & the rest was just the implementation. Oh yes, in between came the little struggle to choose the name.

After a few yes's & no's I finally agreed to myself to keep it as simple as I'm.

Yes, I'm simple & I believe in simplicity. I have met a very few really simple people. A person I'm highly impressed with is a Gurjar - Mr. Subhash Naagar. I will definitely write on him later. Today is my day!!

I've titled my blog" As I Am " because I just can't speake, write or share the thoughts which are not originally mine & to which I don't agree. But, views and informations on Veer Gurjars are always welcome & will always be appreciated. When we join together our community will automatically join. Though it may take some time, ultimately we'll unite one day. And that's for sure!!

Today I dedicate this blog to each & every Gurjar in this world.

This blog will feature & invite views on our proud community. There are a few really nice sites & blogs on Gurjars like:

a) Gurjar Samaj Kalyan Parishad Panchkula

http://www.gurjarspkl.com/

b) Wikipedia

www.wikipedia.org/wiki/Gujjar

c) India Net Zone

www.indianetzone.com/27/gujjar_community_sudras.htm

d) Gurjar Pradesh Charitable Trust

http://www.gurjardesh.org/

e) Gurjar

http://www.gurjar.co.in/

f) All Empires

www.allempires.com/article/index.php?.q=The_Gurjar_Era_(1st_century_to_12th_century)

g) Youth Gurjar Federation

http://www.youthgurjar.com/
This site is managed by bhai Pramod Mavi- a young, educated & very cooperative person. I have never met him personally though but have exchanged a couple of mails with him.

h) Blog - Ashok Harsana

http://ashokharsana.proboards.com/
This is very active, informative & lovely blog. Salaam to bhai Ashok Harsana.

i) Blog - Gurjars Forum

http://gurjarsforum.proboards.com/



I'm fortunate and I feel proud & honoured to be born in a Gurjar family. I thank my parents for providing me education & sanskaars, which I'll try to carry forward to my next generation. I will also share it with my Gurjar Samaj.

My actual thanks goes to my grand father Late Ch. Hukum Singh Bosatta who educated all his children. My father Late Dr. P.S.Verma served the Indian Govt. for 32 years as Class 1 Gazetted Officer

My elder brother Mr. Raj Kumar Basatta followed this tradition. After his graduation my big brother apllied, passed out & joined Central Police Organization ( C.P.O. ) At a very young age of 24 years, he was also a proud Class 1 Gazetted Officer.

In this regard of following our tradition, I feel sorry for not coming to the expectations of my family. Although it was my all time dream to serve the Indian Army, eventually I could not.

Anyway, I believe in destiny too!!